रूस-यूक्रेन युद्ध में मारे गए हरियाणा के हिसार जिले के गांव मदनहेड़ी निवासी 28 वर्षीय सोनू का पार्थिव शरीर बुधवार दोपहर गांव पहुंचा। पूरे गांव में मातम का माहौल छा गया। ग्रामीणों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी और केंद्र सरकार से सोनू को शहीद का दर्जा देने की मांग की।

अंतिम संस्कार के दौरान नारनौंद के कांग्रेस विधायक जस्सी पेटवाड़ भी पहुंचे। उन्होंने केंद्र सरकार से सोनू के साथी अमन सहित रूस में फंसे सभी भारतीय युवाओं की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने की अपील की। स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन की अनुपस्थिति पर नाराजगी भी जताई।

गांव के सरपंच प्रतिनिधि प्रदीप ने बताया कि सोनू मेहनती और परिवार का सहारा था। सोनू के चचेरे भाई अनिल कुमार के अनुसार, वह मई 2024 में रूसी भाषा सीखने के लिए रूस गया था, लेकिन एजेंटों ने उसे धोखे से रूसी सेना में भर्ती करा दिया। कुछ दिन पहले परिजनों को रूसी सेना के कमांडर का संदेश मिला, जिसमें बताया गया कि यूक्रेन के ड्रोन हमले में सोनू की मौत हो गई है। बाद में उसका पार्थिव शरीर एयरलिफ्ट कर भारत लाया गया।

गांव के लोगों को अब सोनू के साथी अमन की चिंता सता रही है, जो अभी भी रूस में फंसा हुआ है। हाल ही में उसका एक वीडियो सामने आया था, जिसमें उसने प्रधानमंत्री से मदद की गुहार लगाई थी कि गार्ड की नौकरी का झांसा देकर उसे युद्ध में भेज दिया गया है।

सोनू की मां कमलेश और तीनों बहनें — पूनम, सुमन और प्रवीन — बेटे की मौत के बाद बेसुध रोती रहीं। गांव की महिलाओं ने किसी तरह उन्हें संभाला। सोनू के पिता सतबीर का निधन 18 साल पहले हो चुका है, जबकि बड़ा भाई विकास पेट्रोल पंप पर काम करता है।

गांव के लोगों का कहना है कि सोनू ने कभी किसी का बुरा नहीं किया, फिर भी उसे ऐसी मौत क्यों मिली — यह सवाल अब भी सभी को झकझोर रहा है।