हरियाणा से खेलना सीखे देश, दो फीसदी आबादी लेकिन ओलंपिक में जीते 50 फीसदी पदक

खेलों की धरती बन चुके हरियाणा के खिलाड़ी हर बड़े खेल में अपनी दमदारी दिखाते हैं। इस बार टोक्यो ओलंपिक में भी हरियाणा के खिलाड़ियों ने यह साबित कर दिया है कि उनसे आगे कोई नहीं है। प्रदेश में बेहतर खेल सुविधाओं व सरकारी आर्थिक मदद से खिलाड़ियों की नींव मजबूत हुई है। 

खेलों में उपलब्धियां देखकर अन्य प्रदेश भी हरियाणा की खेल नीतियों को अपना रहे हैं। देश में अगर ओलंपिक मेडल बढ़ाने हैं तो सभी राज्यों को हरियाणा से सीखना होगा। राज्य में कुश्ती, बॉक्सिंग, हॉकी व कबड्डी के बाद अब शूटिंग, टेनिस, एथलेटिक्स के खिलाड़ी भी तैयार किए जा रहे हैं।

देश में हरियाणा की आबादी भले ही 2 प्रतिशत हो लेकिन खेलों में वह पूरे भारत का सिरमौर बना हुआ है। टोक्यो ओलंपिक में पदकों की संख्या में जहां एक तरफ पूरा देश है, वहीं, दूसरी ओर हरियाणा है। सुमित नांदल को आखिरी दिनों में टिकट मिलने के बाद टोक्यो ओलंपिक में हरियाणा के 31 खिलाड़ियों (करीब 25 फीसदी) ने हिस्सा लिया था। इनमें से तीन खिलाड़ियों ने व्यक्तिगत मेडल जीते, जिनमें स्वर्ण, रजत व कांस्य शामिल हैं। 

हॉकी के कांस्य में भी हरियाणा की हिस्सेदारी है। इस तरह टोक्यो के मेडल संख्या में 50 फीसदी से ज्यादा हरियाणा की हिस्सेदारी है। अब टोक्यो ओलंपिक खत्म हो चुका है और 2024 के फ्रांस ओलंपिक की तैयारियों में खिलाड़ी जुटेंगे लेकिन अब हर किसी को हरियाणा का अनुकरण करना होगा, तभी देश के खाते में ओलंपिक पदकों की संख्या बढ़ सकती है।
नर्सरी से लेकर स्टेडियम व कॉम्प्लेक्स का निर्माण, कोच की कमी पूरी हुई
प्रदेश में करीब 440 खेल नर्सरियां स्थापित की गई हैं, इनमें से करीब 400 चल रही हैं। यहां एक ही जगह पर हर तरह की खेल की सुविधाएं मिलती हैं। राज्य में 232 मिनी स्टेडियम और 21 जिला स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और 2 प्रदेश स्तरीय स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स हैं। ये अंतरराष्ट्रीय स्तर के कॉम्प्लेक्स हैं, यहां 350 से ज्यादा कोच लगाए गए हैं। इसके साथ ही साई के सबसे ज्यादा 22 सेंटर प्रदेश में हैं और उत्तर क्षेत्र का सेंटर भी यहां है।

यहां स्कूल तक में मेडल जीतने पर इनाम देती है सरकार
देश में हरियाणा ऐसा राज्य है, जहां स्कूल स्तर तक मेडल जीतने पर सरकार इनामी राशि देती है। नेशनल स्कूल गेम्स व खेलों इंडिया के पदक विजेताओं को 20-50 हजार, सैफ जूनियर के पदक विजेताओं को 50 हजार से डेढ़ लाख तक, सैफ गेम्स में पदक जीतने पर 2-5 लाख, एशियन चैंपियनशिप के पदक विजेताओं को 3-5 लाख, कॉमनवेल्थ के पदक विजेताओं को 50 लाख से डेढ़ करोड़ का इनाम दिया जाता है। इसके अलावा एशियन गेम्स के पदक विजेताओं को 75 लाख से तीन करोड़, ओलंपिक में पदक जीतने पर 2.5 करोड़ से छह करोड़ का इनाम मिलता है। इसके अलावा ओलंपिक की तैयारी के लिए खिलाड़ियों को 5 लाख रुपये दिए जाते हैं।

हरियाणा में खिलाड़ियों के लिए सुविधाएं काफी अच्छी हैं और यही कारण है कि यहां सबसे ज्यादा खिलाड़ी तैयार होते हैं। अब कॉमनवेल्थ, एशियन व ओलंपिक गेम्स में हरियाणा के सबसे ज्यादा पदक होते हैं। यह सरकार की खेल नीति का असर है। केंद्र सरकार भी खेलों पर अब काफी ध्यान दे रही है। लेकिन सभी राज्यों को अपने स्तर पर खिलाड़ियों के लिए सुविधाएं बढ़ानी होंगी तो उनकी नींव मजबूत करने के लिए प्रैक्टिस के लिए मदद की शुरुआत से करनी होगी। – कुलदीप मलिक, अंतरराष्ट्रीय कोच।

ओलंपिक में जगह बनाने वालीं महिला खिलाड़ी
कुश्ती में विनेश फौगाट, अंशु मलिक, सोनम मलिक, सीमा, शूटिंग में यशस्वनी, मनु भाकर, बॉक्सिंग में पूजा, हॉकी में रानी रामपाल, सविता पूनिया, मोनिका मलिक, नवजौत कौर, नवनीत कौर, नेहा गोयल, निशा, शर्मिला, उदिता, सीमा आंतिल ने जगह बनाई।

ओलंपिक में जगह बनाने वाले पुरुष खिलाड़ी
कुश्ती में बजरंग पूनिया, दीपक पूनिया, रवि दहिया, हॉकी में सुमित, सुरेंद्र कुमार, बॉक्सिंग में अमित पंघाल, विकास कृष्ण, मनीष, शूटिंग में अभिषेक, संजीव राजपूत, एथलेटिक्स में नीरज चौपड़ा, संदीप, राहुल, सुमित नागल ने ओलंपिक में जगह बनाई।

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