पटना में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने बिहार की आर्थिक स्थिति और शासन व्यवस्था पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि बिहार की प्रति व्यक्ति आय मात्र ₹87,000 है, जबकि हिमाचल प्रदेश में यह ₹2,57,000 तक पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति तब है जब बिहार में पिछले दो दशकों से एक ही नेतृत्व—नीतीश कुमार, भाजपा और जेडीयू की सरकार—रही है।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि हिमाचल में पुरानी पेंशन योजना (ओल्ड पेंशन स्कीम) बहाल कर कर्मचारियों को आर्थिक सुरक्षा दी गई है और यही पहल अब बिहार में भी लागू की जाएगी। उन्होंने कहा, “यह गठबंधन सरकार सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। राहुल गांधी का सिद्धांत है—जो कहा गया है, उसे करना ही है।”

सीएम सुक्खू ने कहा कि हिमाचल देश का पहला राज्य है जिसने अपने कर्मचारियों के हित में ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू किया। एनपीएस के तहत जहां कर्मचारियों को मात्र ₹3,000 से ₹5,000 पेंशन मिलती थी, वहीं अब यह राशि ₹30,000 से ₹50,000 तक पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि इस योजना को राजनीतिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की भावना से लागू किया गया।

बिहार की विकास व्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए सुक्खू ने कहा कि “फोरलेन सड़कें यहां टू लेन जैसी दिखती हैं, जबकि 20 साल से सत्ता में रहने वालों ने व्यवस्थागत बदलाव ही किए हैं, सुधार नहीं।” उन्होंने हिमाचल की नीतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां दूध और प्राकृतिक खेती से उत्पन्न अनाज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिया जा रहा है, जो पूरे देश के लिए उदाहरण है।

उन्होंने बताया कि हिमाचल में मनरेगा के तहत ₹320 की दिहाड़ी दी जा रही है और सोलर पावर व ई-टैक्सी योजनाओं में युवाओं को अनुदान प्रदान किया जा रहा है। सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य युवाओं और किसानों को आत्मनिर्भर बनाना है ताकि हिमाचल सतत विकास के मार्ग पर अग्रसर रहे।