मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने मंगलवार को नेरचौक मेडिकल कॉलेज में आयोजित आइरिस वार्षिक समारोह में प्रशिक्षु डॉक्टरों को संबोधित करते हुए घोषणा की कि प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में अगले छह महीने में मेडिकल इमरजेंसी विभाग स्थापित किए जाएंगे। इसके लिए कुल 38 पद स्वीकृत किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत विशेषज्ञ और सुपर विशेषज्ञ पैकेज के माध्यम से तैनात होंगे।

उन्होंने यह भी बताया कि पैरामेडिकल स्टाफ को डायरेक्टर हेल्थ सर्विस और डीएमई स्टाफ से अलग कर दिया गया है, ताकि मेडिकल कॉलेजों में स्टाफ को सीधे मेडिकल एजुकेशन में शामिल किया जा सके। रेडियोग्राफर और लैब तकनीशियन की कमी को दूर करने के लिए सीटों में भी वृद्धि की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव ला रही है। उन्होंने पूर्व सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि जयराम सरकार द्वारा मेडिकल कॉलेजों के लिए बनाए गए हजार करोड़ के भवन बेकार पड़े हैं, जबकि यदि इसे मेडिकल टेक्नोलॉजी पर लगाया गया होता, तो हिमाचल देश में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में अग्रणी हो सकता था।

सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने एम्स दिल्ली की स्मार्ट लैब का उदाहरण देते हुए कहा कि हिमाचल के मेडिकल कॉलेजों में भी इसी तरह की तकनीक लाई जाएगी। इसके लिए 75 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। नेरचौक मेडिकल कॉलेज के लिए एमआरआई मशीन लगाने के लिए 28 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं, जो दो माह में स्थापित कर दी जाएगी। इसके अलावा, कॉलेज की कैथ लैब के लिए 12 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 9 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं।

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में व्यक्तिगत संघर्ष का उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा कि जीवन में हमेशा सफलता नहीं मिलती, कई बार असफलता का सामना करना पड़ता है। लेकिन असफलताओं के बावजूद लक्ष्य तय करके आगे बढ़ते रहना चाहिए। यही सोच उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाने में मददगार साबित हुई।

इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धनी राम शांडिल, धर्मपुर विधायक चंद्रशेखर और अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।