इज़राइल द्वारा ईरान पर किए गए हमले के बाद अब पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने इस युद्ध को लेकर चिंता जाहिर की है। उन्होंने ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिका की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। महबूबा ने यह भी याद दिलाया कि भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान अमेरिका ने खुद को मध्यस्थ की भूमिका में बताया था, लेकिन मौजूदा संकट में उसकी चुप्पी हैरान करने वाली है।

तेहरान पर इज़राइल का हमला, ईरान को भारी नुकसान

शुक्रवार सुबह इज़राइल ने तेहरान पर हमला करते हुए ईरान के सैन्य और परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया। रिपोर्टों के अनुसार, इस हमले में ईरान को गंभीर क्षति पहुंची है और कई सैन्य अधिकारियों की मौत भी हुई है। इस कार्रवाई के जवाब में ईरान ने भी आक्रामक रुख अपनाते हुए इज़राइल पर सौ से अधिक ड्रोन दागे हैं।

महबूबा ने कहा— इज़राइल हो रहा बेलगाम, अमेरिका की चुप्पी चिंताजनक

महबूबा मुफ्ती ने इज़राइल के हमले को 'बेलगाम दुस्साहस' करार देते हुए कहा कि यह हमला दिखाता है कि इज़राइल किसी भी तरह की जवाबदेही से परे होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक समुदाय, विशेष रूप से अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की खामोशी गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका की यह चुप्पी परोक्ष सहमति का संकेत देती है।

"भारत-पाक मामले में सक्रिय, फिर अब क्यों चुप?"

महबूबा ने आगे कहा कि जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव होता है तो अमेरिका खुद को तनाव कम करने वाला पक्ष बताता है। लेकिन गाज़ा पर इज़राइली बमबारी या ईरान पर ताज़ा हमलों के समय वह सक्रिय भूमिका से दूर नजर आता है। यह दोहरा रवैया वैश्विक शांति और निष्पक्षता के सिद्धांतों पर सवाल खड़े करता है।

मुस्लिम देशों की निष्क्रियता भी सवालों के घेरे में

महबूबा ने तथाकथित मुस्लिम देशों की खामोशी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब गंभीर अन्याय सामने है, इन देशों की निष्क्रियता न केवल निराशाजनक है, बल्कि उनके द्वारा प्रचारित मूल्यों के साथ एक प्रकार का विश्वासघात भी है।

अमेरिका ने हमले से पल्ला झाड़ा

इस पूरे घटनाक्रम पर अमेरिका ने स्पष्ट रूप से इज़राइल को समर्थन देने से इंकार किया है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि यह कार्रवाई इज़राइल की ओर से एकतरफा की गई है और अमेरिका इसका हिस्सा नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका की प्राथमिकता क्षेत्र में तैनात अपने सैनिकों की सुरक्षा है। साथ ही ईरान को चेतावनी दी कि वह अमेरिकी हितों या कर्मियों को निशाना न बनाए।