सियासी तनातनी और आतंकी चुनौती के बीच जम्मू पहुंचे अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सियासी तनातनी और आतंकी चुनौती के बीच जम्मू पहुंचे हैं। शाह के दौरे के दौरान कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी। गृह मंत्री का ये दौरा प्रदेश भाजपा के भविष्य की कार्ययोजना के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। प्रदेश सरकार की चुनौतियों के समाधान को लेकर भी इस दौरे पर नजरें टिकी हैं। भाजपा की आगामी पंचायत व स्थानीय निकाय चुनाव पर भी नजरें हैं।

केंद्र और राज्य सरकार के बीच खाई पाटने का होगा प्रयास
अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद जिन मुद्दों पर केंद्र ने सफलता हासिल की है, अब जम्मू-कश्मीर सरकार उन पर सवाल उठा रही है। केंद्र ने आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त दर्जनों सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त किया है। इसके अलावा राष्ट्र के खिलाफ आवाज उठाने और आतंकवाद, आपराधिक, नशा तस्करी जैसी घटनाओं में शामिल बड़ी संख्या में लोगों पर पीएसए (जन सुरक्षा अधिनियम) लगाया है। इन दोनों प्रमुख मुद्दों पर जम्मू-कश्मीर सरकार लगातार पुनर्विचार की बात करती रही है। गृह मंत्री इस मुद्दे पर दिशा निर्देश दे सकते हैं। साथ ही केंद्र और प्रदेश सरकार के बीच की खाई पाटने का प्रयास भी होगा।

सक्रिय आतंकियों के खात्मे पर भी कड़ी कार्रवाई
सूत्रों का कहना है कि कठुआ समेत जम्मू संभाग के अन्य जिलों में सक्रिय आतंकियों के खात्मे पर गहन चर्चा होगी। इन आतंकियों को ढेर करने के लिए स्पेशल फोर्स की तैनाती की जा सकती है। इस फोर्स में जम्मू कश्मीर एसओजी, एनएसजी, सेना की पैरा फोर्स को संयुक्त रूप से शामिल करके विशेष आपरेशन चलाया जा सकता है। आतंकियों का पता लगाने के लिए पुलिस बड़े स्तर पर स्थानीय लोगों को अपने साथ जोड़ने के लिए तंत्र विकसित कर सकती है। सुरक्षा परिदृश्य के हिसाब से अहम फैसले लिए जा सकते हैं।

एलजी और सरकार के बीच तनातनी
प्रदेश सरकार में मौजूदा जेकेएएस अधिकारियों के तबादलों को लेकर उपराज्यपाल प्रशासन के साथ तनातनी बनी हुई है। सरकार इसे अपना अधिकार क्षेत्र मानती है। हाल ही में उपराज्यपाल के आदेश पर 48 जेकेएएस अफसरों के तबादले किए गए थे। इसके बाद नेकां ने आपात बैठक बुलाकर अन्य मुद्दों के साथ इस मुद्दे पर भी चर्चा की थी। इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री कोई दिशा निर्देश दे सकते हैं, क्योंकि जम्मू-कश्मीर के यूटी होने के नाते सुरक्षा से जुड़े मुद्दे गृह मंत्रालय के अधीन हैं।

आतंकी हमलों में सुरक्षा में चूक
हाल ही में कठुआ जिले में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अपने चार जवान खोए हैं। इस घटना में सुरक्षा में चूक का मामला भी उठता रहा है। कहीं न कहीं सुरक्षा एजेंसियों के बीच तालमेल की कमी पर सवाल उठे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री प्रमुख तौर पर सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर नई रणनीति पर चर्चा कर सकते हैं।

पीओजेके शरणार्थियों के जमीन के मुआवजे में देरी का मुद्दा
पीओजेके शरणार्थी परिवारों को जमीन के मुआवजे में देरी का मुद्दा उठता रहा है। खुद भाजपा के विधायक डॉ. नरेंद्र सिंह और गारू राम भगत भी इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। शरणार्थियों की जमीन सुरक्षा गतिविधियों के इस्तेमाल की जानी है। शरणार्थी परिवारों को उचित मुआवजा जारी करने के निर्देश जारी हो सकते हैं।

अमरनाथ यात्रा, श्रीनगर तक रेल सेवा की समीक्षा होगी
सूत्रों का यह भी कहना है कि बैठक में कटड़ा से श्रीनगर तक शुरू होने वाली रेल सेवा पर भी चर्चा होगी। इस रेल सेवा के लिए कड़े सुरक्षा बंदोबस्त करने के लिए कहा जाएगा। क्योंकि, आतंकी संगठन इसे नुकसान पहुंचाने की फिराक में हैं। इसके अलावा आगामी श्री अमरनाथ यात्रा को लेकर भी चर्चा होगी। क्योंकि इस बार काफी लोग रेल से भी यात्रा पर जाएंगे। ऐसे में दोनों को लेकर सुरक्षा चुनौती है। इससे निपटने के लिए बड़े स्तर पर सुरक्षाबलों की तैनाती की जाएगी। अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा पुख्ता करने के लिए अहम फैसले लिए जा सकते हैं।

सुरक्षा दीवार का मुद्दा भी अहम
बता दें कि सांबा, कठुआ और जम्मू के इंटरनेशनल बॉर्डर पर सुरक्षा दीवार बनाई जानी है। दीवार खड़ी करने के लिए स्थानीय लोगों की जमीन ली जानी है। लेकिन मुआवजे की वजह से अभी तक ये दीवार बनाने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही। यह मामला भी सुलझाया जा सकता है। शाह बीएसएफ और प्रशासन के अधिकारियों के साथ इस मसले पर अहम फैसला ले सकते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here