कारगिल स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद में चौथे काउंसलर की नियुक्ति ने जिले की सियासत में हलचल मचा दी है। प्रशासन द्वारा एडवोकेट रियाज अहमद खान को हिल काउंसिल में मनोनीत किए जाने के बाद स्थानीय भाजपा इकाई से लेकर लद्दाख के सांसद हनीफा जान तक ने इस फैसले पर कड़ा ऐतराज़ जताया है। विवाद इतना बढ़ा कि सांसद हनीफा रियाज के शपथ ग्रहण समारोह से भी दूरी बनाए रहे। कांग्रेस ने भी इस नियुक्ति को परंपरागत व्यवस्थाओं के खिलाफ बताया है।

रियाज अहमद खान शिया समुदाय से आते हैं। विरोध करने वालों का कहना है कि इस नामांकन में वर्षों से चली आ रही परंपरा और 1997 के एलएएचडीसी एक्ट की भावना को नजरअंदाज किया गया है। काउंसिल में पहले ही तीन सदस्य नामित हैं, जिनमें एक महिला शामिल है। परंपरा के अनुसार चार नामित सदस्यों में दो महिलाओं और दो प्रमुख अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाता रहा है, हालांकि अधिनियम में महिलाओं की संख्या को लेकर कोई स्पष्ट अनिवार्यता निर्धारित नहीं है। अधिनियम केवल यह कहता है कि मनोनीत सदस्य महिलाएं और प्रमुख अल्पसंख्यकों से होंगे।

इसके बावजूद चौथे मनोनीत सदस्य के रूप में रियाज की नियुक्ति ने राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है।

भाजपा इकाई में भी असंतोष, कई कार्यकर्ताओं ने दिया इस्तीफा

स्थानीय भाजपा इकाई में भी इस निर्णय के बाद मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। शंकु सब-डिवीजन के कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस नियुक्ति के विरोध में इस्तीफे सौंप दिए हैं। हालांकि पार्टी के कुछ सदस्यों ने रियाज की नियुक्ति को सही ठहराया है।

जुलाई 2003 में गठित कारगिल हिल काउंसिल की कुल 30 सीटों में से 26 पर चुनाव होते हैं, जबकि चार सीटों पर प्रशासन मनोनीत सदस्यों को भेजता है।

मनोनीत सदस्य रियाज ने सांसद पर साधा निशाना

अपनी नियुक्ति पर उठे सवालों पर रियाज अहमद खान ने सांसद हनीफा जान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। रियाज का कहना है कि सांसद ने एलएएचडीसी एक्ट को ठीक से पढ़ा ही नहीं है। उन्होंने कहा कि शिया समुदाय स्वयं ‘प्रिंसिपल माइनॉरिटी’ में शामिल है, इसलिए उनका नॉमिनेशन अधिनियम के अनुरूप है।

उन्होंने यह भी कहा कि सांसद का शपथ ग्रहण समारोह पर टिप्पणी करना अनुचित है और यदि वे इस तरह की बातें करेंगे तो दिल्ली में मंत्रालय के सामने लद्दाख का पक्ष कैसे मजबूती से रख पाएंगे।

हनीफा का आरोप—काउंसिल को कमजोर करने की कोशिश

दूसरी ओर, सांसद हनीफा जान ने प्रदेश प्रशासन और गृह मंत्रालय पर काउंसिल को कमजोर करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि एक ओर प्रशासन महिलाओं के सशक्तिकरण की बात करता है, वहीं दूसरी ओर फैसले उन दावों के विपरीत लिए जा रहे हैं।

हनीफा ने स्पष्ट कहा कि काउंसिल एक्ट के तहत महिलाओं और मुख्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों की अनदेखी की गई है। उन्होंने रियाज के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने से भी परहेज़ किया।

एनसी-कांग्रेस गठबंधन पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह गठबंधन लद्दाख में राजनीतिक और प्रशासनिक चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए बनाया गया था।