केंद्र को लद्दाख के लोगों से बातचीत करनी चाहिए: फारूक अब्दुल्ला

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार को लद्दाख के लोगों की मांगों और आकांक्षाओं को गंभीरता से लेते हुए उनके साथ बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार को हालात से सबक लेना होगा और दोबारा हिंसा भड़कने का इंतजार नहीं करना चाहिए।

डॉ. अब्दुल्ला का यह बयान लेह में राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर हुई हिंसा के एक दिन बाद आया। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि लद्दाख एक सीमावर्ती क्षेत्र है और चीन ने जमीन पर कब्जा किया हुआ है, जिसे जल्द से जल्द सुलझाना आवश्यक है। उन्होंने केंद्र से कहा कि बल का इस्तेमाल न किया जाए और समस्या का हल संवाद और बातचीत के माध्यम से निकाला जाए।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि लेह में हुई हिंसा के लिए जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक जिम्मेदार नहीं हैं। वांगचुक ने हमेशा गांधीवादी मार्ग अपनाया है, जबकि युवाओं ने महसूस किया कि पुराने वादे खोखले थे, जिससे उनके भीतर नाराजगी पैदा हुई।

लेह अपेक्स बॉडी (एलएबी) द्वारा बुधवार को बंद की कॉल के दौरान हुई झड़पों में चार लोगों की मौत हुई और कम से कम 80 लोग घायल हुए। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि यह किसी बाहरी ताकत का काम नहीं है बल्कि यह लद्दाख के लोगों की आवाज है। उन्होंने केंद्र से आग्रह किया कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लिए किए गए वादों को पूरा किया जाए, खासकर राज्य का दर्जा और नौकरियों के संबंध में।

डॉ. अब्दुल्ला ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कभी भी हिंसा का रास्ता नहीं अपनाया और पार्टी हमेशा गांधीवादी मार्ग पर रही है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों की जानें गई हैं, उनके परिवारों के प्रति संवेदना जताई और केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वे बिना ठोस बातचीत में उलझाए रहने के बजाय तुरंत समाधान की दिशा में कदम उठाए।

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