साथी सिपाही को पूछताछ के दौरान बेरहमी से पीटने और अमानवीय यातना देने के मामले में सीबीआई ने बुधवार को पुलिस उपाधीक्षक एजाज अहमद नाइक समेत आठ पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया है। इनमें से एक, जो मानदेय पर कार्यरत विशेष पुलिस अधिकारी था, को एसपीओ पद से हटा दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई को पीड़ित कांस्टेबल की याचिका पर इस मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया था। अदालत ने केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को पीड़ित को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया था। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि कांस्टेबल को हिरासत में दी गई चोटें—खासकर जननांगों पर—पूरी तरह से अमानवीय और गंभीर थीं। इसमें काली मिर्च/मिर्च पाउडर का इस्तेमाल और बिजली के झटके भी शामिल थे।
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा स्थित संयुक्त पूछताछ केंद्र में हिरासत में पीड़ित कांस्टेबल खुर्शीद अहमद को 50 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था और मामले में दोषी अफसरों की तत्काल गिरफ्तारी का निर्देश भी दिया।
दरअसल, हाईकोर्ट ने पहले प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार किया था। खुर्शीद ने सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने बारामुला में 20 से 26 फरवरी 2023 के बीच छह दिनों की अवैध हिरासत के दौरान उसे दी गई अमानवीय और अपमानजनक यातनाओं के आरोप पर कोई कार्रवाई नहीं की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय को फटकार लगाते हुए कहा कि उसने नागरिक के मौलिक अधिकार, जीवन और गरिमा की रक्षा में अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी पूरी नहीं की। अदालत ने पुलिस द्वारा किए गए दावों को झूठा करार दिया, जिसमें कहा गया कि कांस्टेबल ने आत्महत्या की कोशिश की और चोटें खुद से लगीं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मेडिकल साक्ष्य साबित करते हैं कि इन गंभीर चोटों को कांस्टेबल ने स्वयं नहीं लगाई थीं और यह पुलिस अत्याचार का बर्बर उदाहरण है।