भारत-पाकिस्तान सीमासमीप पश्चिमी सीमाओं पर युद्धाभ्यास त्रिशूल का 13 दिवसीय कार्यक्रम सोमवार से शुरू हो गया। 30 अक्तूबर से 11 नवंबर तक चलने वाले इस अभ्यास में भारतीय थल सेना, वायु सेना और नौसेना संयुक्त रूप से अपनी युद्धक तैयारियों और तैनाती क्षमताओं का परीक्षण कर रही हैं। रक्षा अधिकारियों के मुताबिक, अभ्यास का उद्देश्य सीमापार संभावित चुनौतियों के प्रति प्रत्युत्तर क्षमता बढ़ाना और क्षेत्रीय सतर्कता बरकरार रखना है।
जम्मू संभाग की सीमा रेखाओं पर सुरक्षा एजेंसियों ने चौकसी और कड़ी कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि अभ्यास के दौरान तैनात बलों की गतिशीलता और निगरानी बढ़ाई गई है ताकि किसी भी प्रकार की अनहोनी की स्थिति में त्वरित और समन्वित प्रतिक्रिया दी जा सके।
रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि बड़े पैमाने पर ऐसे अभ्यास किसी प्रतिद्वंदी देश को भारत की तैयारियों का संकेत देते हैं और यह जहां सैन्य तत्परता की समीक्षा का अवसर है, वहीं मनोवैज्ञानिक प्रभाव का भी साधन बनता है। पूर्व कर्नल सुशील पठानिया ने कहा कि यह अभ्यास हमारी संप्रीति और तैनाती क्षमता को परखने का अवसर है और पाकिस्तान पर प्रभाव डालने का भी एक पहलू है। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि किसी भी तरह की जवाबी कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय नियमों और कूटनीतिक रास्तों को ध्यान में रखकर ही की जानी चाहिए।
आधिकारिक तौर पर यह भी बताया गया कि अभ्यास के दौरान स्थानीय सुरक्षा व नागरिक सुविधा को ध्यान में रखते हुए आवश्यक व्यवस्थाएं की जा रही हैं ताकि किसी भी असुविधा को कम से कम रखा जा सके। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति संवेदनशील मानी जाती है, इसलिए वहां अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है और संबंधित अधिकारियों ने नागरिकों से शांति बनाए रखने तथा आधिकारिक सूचनाओं के लिए स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया है।