सरकार ने टाला राज्य का दर्जा बहाल करने का फैसला, उमर अब्दुल्ला को झटका

जम्मू-कश्मीर को अभी पूर्ण राज्य का दर्जा देने की कोई योजना नहीं है। सरकार से जुड़े उच्चस्तरीय सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि वर्तमान हालात को देखते हुए ऐसा कोई निर्णय फिलहाल नहीं लिया जाएगा। हाल ही में जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमलों के मद्देनज़र, केंद्र सरकार का मानना है कि इस समय ऐसा कदम उठाना व्यावहारिक नहीं है।

अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के छह वर्ष पूरे होने से ठीक पहले, शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से संसद भवन परिसर स्थित उनके कार्यालय में मुलाकात की। इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल, गृह सचिव गोविंद मोहन और खुफिया ब्यूरो के प्रमुख तपन डेका शामिल हुए। बताया गया कि बैठक में क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति पर गंभीरता से चर्चा हुई।

राज्य के नेताओं की मांग तेज, लेकिन सरकार का रुख साफ

कश्मीर में उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद से ही पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग लगातार उठती रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी गई चिट्ठी के बाद इस मांग को और बल मिला है। उमर अब्दुल्ला ने भी स्पष्ट कहा है कि “हाइब्रिड मॉडल” उन्हें स्वीकार नहीं है और राज्य का दर्जा उनका संवैधानिक अधिकार है।

हालांकि, सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि जब तक आतंकवाद पर पूरी तरह नियंत्रण नहीं हो जाता, तब तक जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता। प्रधानमंत्री मोदी के हालिया कश्मीर दौरे के दौरान भी उमर अब्दुल्ला ने यह मुद्दा उठाया था, साथ ही उन्होंने अमित शाह से भी इस विषय पर विस्तृत चर्चा की थी।

370 की छठी बरसी और बढ़ता सियासी दबाव

अनुच्छेद 370 को हटाए जाने की छठी वर्षगांठ से एक दिन पहले सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में राज्य के दर्जे को बहाल करने की मांग ने फिर जोर पकड़ा। नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाने के बाद राज्य में हालात सुधरने के जो दावे किए गए थे, वे ज़मीन पर सच साबित नहीं हो पाए हैं।

गृह मंत्री अमित शाह ने मार्च 2025 में कहा था कि समय आने पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा, लेकिन उन्होंने इसके लिए कोई निश्चित समयसीमा नहीं बताई थी। कांग्रेस पार्टी ने इस प्रक्रिया में तेजी लाने की मांग करते हुए संसद में विधेयक लाने का आग्रह किया है।

पृष्ठभूमि: क्या है पूरा मामला

5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को समाप्त कर जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था। इसके बाद राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों—जम्मू-कश्मीर और लद्दाख—में विभाजित कर दिया गया। उस समय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में आश्वस्त किया था कि परिस्थिति सामान्य होते ही राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा।

अब जबकि छह वर्ष बीत चुके हैं, विपक्षी दलों और क्षेत्रीय पार्टियों का कहना है कि सरकार को अपने वादे को निभाना चाहिए। लेकिन सुरक्षा एजेंसियों की सिफारिशों और हालात के मद्देनज़र केंद्र सरकार फिलहाल इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाने के मूड में नहीं दिख रही है।

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