जम्मू-कश्मीर में मौसम ने फिर कहर बरपाया है। किश्तवाड़ के बाद अब कठुआ में बादल फटने की घटनाओं ने जन-धन का भारी नुकसान किया है। ज़िले के जोध घाटी, चंदरह भेड़ बलोरे, बगरा जंगलोते और दिलवान हटली लखनपुर सहित कई इलाकों में मलबा और तेज़ पानी की धारा ने तबाही मचाई। इस आपदा में अब तक चार लोगों की मौत हुई है, जबकि छह अन्य को स्थानीय प्रशासन और राहत-बचाव दलों ने सुरक्षित बाहर निकाला।

सबसे ज्यादा नुकसान कठुआ के राजबाग क्षेत्र के जोध गांव में हुआ। अचानक आई बाढ़ और बहते मलबे ने कई घरों को नुकसान पहुंचाया। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि पानी का तेज़ सैलाब अचानक आया और लोगों को संभलने का मौका नहीं मिला। SDRF और पुलिस की टीमें लगातार राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। प्रशासन का कहना है कि प्राथमिकता लोगों की सुरक्षा और जरूरतमंदों तक सहायता पहुंचाने की है।

बादल फटने के कारण नदियों और नालों में पानी का स्तर अचानक बढ़ गया, जिससे कई सड़क संपर्क टूट गए और गांवों तक पहुंच मुश्किल हो गई। कई जगह बिजली आपूर्ति भी बाधित हुई है। आपदा प्रबंधन विभाग ने लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की चेतावनी जारी की है।

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स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है। कई परिवार अपने घर छोड़कर ऊंचाई वाले सुरक्षित इलाकों की ओर चले गए हैं। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने जानकारी दी कि कठुआ पुलिस स्टेशन भी प्रभावित हुआ है। उन्होंने बताया कि रेलवे ट्रैक और राष्ट्रीय राजमार्ग को भी नुकसान पहुंचा है। नागरिक प्रशासन, सेना और अर्धसैनिक बल राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिसका मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित निर्माण कार्य हैं। इस प्रकार की आपदाएं जनहानि के साथ-साथ प्रभावित क्षेत्रों के बुनियादी ढांचे को भी नुकसान पहुंचाती हैं। कठुआ प्रशासन ने घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया है और प्रभावित क्षेत्रों में राहत कैंप स्थापित किए जा रहे हैं।

इसके पहले, जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में भी हाल ही में बादल फटने से भारी तबाही हुई थी। चशोती क्षेत्र में अचानक आई बाढ़ में अब तक 60 लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 200 लोग लापता हैं, जिनमें CISF के दो जवान भी शामिल हैं।