जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शुक्रवार को स्पष्ट कहा कि केंद्र शासित प्रदेश की निर्वाचित सरकार के पास प्रशासनिक और संवैधानिक स्तर पर सभी अधिकार हैं। इसलिए राज्य का दर्जा न मिलने को किसी भी तरह की निष्क्रियता या कमजोर प्रदर्शन का बहाना नहीं बनाया जा सकता।

श्रीनगर स्थित एसकेआईसीसी में जम्मू-कश्मीर के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए एलजी सिन्हा ने कहा, “गृह मंत्री अमित शाह संसद में स्पष्ट कर चुके हैं कि पहले परिसीमन होगा, फिर विधानसभा चुनाव और उसके बाद उचित समय पर राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। लेकिन कुछ लोग जानबूझकर इस विषय को विवाद का रूप दे रहे हैं। जब चुनाव हुए, तब यह साफ था कि यह केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा के लिए हैं। ऐसे में राज्य का दर्जा बहाली का इंतजार करते हुए विकास कार्य रोकना उचित नहीं।”

उन्होंने कहा कि निर्वाचित सरकार को अपनी शक्तियों का उपयोग जनता की भलाई और विकास के लिए करना चाहिए, न कि राजनीतिक बहानेबाजी के लिए।

नेकां नेताओं का तीखा पलटवार

एलजी के इस बयान पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, “एलजी को सुप्रीम कोर्ट और संसद में जम्मू-कश्मीर के लोगों से किए गए वादों की याद दिलानी चाहिए। लगभग सभी विधायकों ने राज्य के दर्जे के नाम पर वोट मांगे थे। फिर यह डर क्यों? आखिर वे राज्य का दर्जा बहाल करने से हिचकिचा क्यों रहे हैं?”

उमर ने आगे कहा, “हमें बताया गया है कि राज्य का दर्जा ‘उचित समय’ पर लौटाया जाएगा। लेकिन यह उचित समय कब आएगा? इसका पैमाना क्या है? यदि यह कोई लक्ष्य है, तो सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि हमें उस तक पहुंचने के लिए क्या कदम उठाने होंगे।”

फारूक अब्दुल्ला बोले – एलजी सच नहीं बोलते

नेकां अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने भी एलजी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा, “एलजी झूठ बोलते हैं। वे कभी सच नहीं कहते। प्रशासनिक नियंत्रण पूरी तरह उनके हाथ में है। आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के माध्यम से वे हर निर्णय पर नियंत्रण बनाए हुए हैं और किसी भी फाइल को आगे नहीं बढ़ने देते।”

उनके इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसके बाद प्रदेश की सियासत और भी गरमा गई है।

एलजी सिन्हा के बयान ने जहां जम्मू-कश्मीर में प्रशासनिक शक्तियों और राज्य के दर्जे को लेकर नई बहस छेड़ दी है, वहीं विपक्षी नेताओं की तीखी प्रतिक्रियाओं ने इसे राजनीतिक टकराव का नया केंद्र बना दिया है।