इस्लामी देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर को लेकर विवादित बयान जारी किया है। संगठन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को “आत्मनिर्णय का अधिकार” मिलना चाहिए। हालांकि, ओआईसी ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में हो रहे विरोध प्रदर्शनों और मानवाधिकार उल्लंघनों पर एक शब्द भी नहीं कहा, जिससे उसकी निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे हैं।

OIC का दावा – कश्मीरियों के अधिकारों का करें सम्मान
सोमवार को जारी बयान में ओआईसी सचिवालय ने कहा कि वह “जम्मू-कश्मीर के लोगों के मौलिक मानवाधिकारों और आत्मनिर्णय के अधिकार” के समर्थन में खड़ा है। बयान में भारत से इन अधिकारों का सम्मान करने की अपील की गई। साथ ही संगठन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुरूप कश्मीर विवाद के समाधान की मांग दोहराई।

पाकिस्तान के मामलों पर चुप्पी से उठे सवाल
दूसरी ओर, ओआईसी ने पाकिस्तान से जुड़े गंभीर मुद्दों—जैसे काबुल पर हमले, बलूचिस्तान में अत्याचार और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में हालिया हिंसक विरोध प्रदर्शनों—पर कोई टिप्पणी नहीं की। इस रवैये के कारण संगठन की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठ रहे हैं।

विशेषज्ञों ने जताई नाराजगी
यूरोपीय लेखक और पश्चिम एशिया मामलों के विशेषज्ञ माइकल अरिजेंटी ने हाल ही में ओआईसी और अरब देशों की तीखी आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि ये देश पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों और हत्याओं पर आंख मूंदे बैठे हैं।

कुल मिलाकर, ओआईसी का यह बयान एक बार फिर उसके दोहरे रवैये को उजागर करता है—जहां वह कश्मीर मुद्दे पर भारत को निशाना बनाता है, वहीं पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों में हो रहे अत्याचारों पर चुप्पी साधे रहता है।