ऑक्सफोर्ड अध्यक्ष पाकिस्तान की कठपुतली, यूनिवर्सिटी में जम्मू-कश्मीर पर बहस के दौरान हंगामा

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की डिबेटिंग सोसाइटी ऑक्सफोर्ड यूनियन ने कश्मीर पर बहस का आयोजन किया, जिसके बाद विवाद बढ़ गया है. इस बहस ने न केवल भारतीय छात्रों बल्कि ब्रिटिश-हिंदू समुदाय और भारतीय मूल के लोगों में भी भारी आक्रोश पैदा कर दिया है. इस बहस में कश्मीर को ‘स्वतंत्र’ कहे जाने के विरोध में भारतीय छात्रों ने ऑक्सफोर्ड यूनियन के बाहर प्रदर्शन किया. उन्होंने जम्मू कश्मीर भारत का था, जम्मू कश्मीर भारत है और जम्मू कश्मीर भारत रहेगा जैसे नारे लगाए.

ब्रिटेन में भारतीय और ब्रिटिश-हिंदू समुदाय के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन, इनसाइट यूके ने भी ऑक्सफोर्ड यूनियन को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में बहस के विषय और वक्ताओं के चयन पर गंभीर आपत्ति जताई गई है. इनसाइट यूके का कहना है कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इस पर सवाल उठाने वाली कोई भी बहस भारत की संप्रभुता को सीधा ठेस पहुंचाएगा.

मुद्दे को लेकर लिखा लेटर

ब्रिटिश हिंदुओं और भारतीयों का प्रतिनिधित्व करने वाले सामाजिक आंदोलन इनसाइट यूके ने गुरुवार को ऑक्सफोर्ड यूनियन सोसायटी को लेटर लिखकर इस पर चिंता जताई. लेटर में ऑक्सफोर्ड यूनियन द्वारा आमंत्रित दो वक्ताओं पर भी आपत्ति दर्ज की गई है, जिनमें मज़म्मिल अय्यूब ठाकुर और ज़फर खान शामिल हैं. लेटर के अनुसार, मज़म्मिल अय्यूब ठाकुर पर नफरत भरी भाषा और आतंकवादी संगठनों से संबंध होने के आरोप हैं. वहीं जफर खान जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रतिनिधि हैं. इन पर कश्मीरी हिंदुओं को आतंकित करने और उन्हें अपने पैतृक घरों से पलायन करने के लिए मजबूर करने वाले हिंसक रवैया अपनाने का आरोप है.

ऑक्सफोर्ड यूनियन के इस आयोजन के बाद ब्रिटिश-हिंदू समुदाय और भारतीय छात्रों ने इसे भारतीय संप्रभुता और समुदाय की भावनाओं का अपमान बताया है और इस तरह की बहस के आयोजन पर सवाल खड़े किए हैं.

भारत ब्रिटेन संबंधों पर असर

आक्सफोर्ड यूनियन में हुई इस बहस को लेकर लंदन में रहने वाले भारतीयों में गुस्सा है. भारतीय छात्रों ने ऑक्सफ़ोर्ड यूनियन के बाहर प्रदर्शन भी किया है. इस तरह के विवाद से भारत और यूके के संबंधों पर असर पड़ सकता है. खासतौर पर ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय पर. वहां के भारतीय समुदायों को इस घटना को लेकर कॉफी डर है. उन्हें डर है कि इस घटना के बाद कहीं गलतफहमियां बढ़ न जाए. जिससे कूटनीतिक संबंधों में तनाव पैदा हो सकता है.

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