जम्मू-कश्मीर। इस बार दिवाली घाटी में पहले से कहीं अधिक शानदार और यादगार रही। श्रीनगर के ऐतिहासिक लाल चौक पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत सैकड़ों मिट्टी के दीये जलाए गए, जिससे वातावरण देशभक्ति और उल्लास से भर गया। घाटी में पहली बार इस पैमाने पर दिवाली का जश्न खुले में मनाया गया। स्थानीय लोग, पर्यटक और सुरक्षा बल मिलकर घाटी को रोशन करते नजर आए।
श्रीनगर में दिवाली के दिन लाल चौक पर सेना, पुलिस और आम नागरिकों ने एकसाथ दीये जलाए और ‘भारत माता की जय’ तथा ‘हिंदुस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए। रंग-बिरंगी लाइटों और सैकड़ों दीयों से सजा लाल चौक पूरे इलाके को रोशन कर रहा था। महिलाओं और बच्चों की भी बड़ी संख्या में भागीदारी रही। स्थानीय प्रशासन ने इस बार दिवाली को बड़े स्तर पर मनाने की तैयारी की थी, जिससे कार्यक्रम शांतिपूर्वक और प्रभावशाली ढंग से संपन्न हुआ।
स्थानीय लोग इसे ऐतिहासिक आयोजन बता रहे हैं। इससे पहले घाटी में लोग सिर्फ अपने घरों और पड़ोस में ही दिवाली मनाते थे, लेकिन इस बार लाल चौक पर खुले में लाखों लोग एकत्र हुए। खास बात यह रही कि कार्यक्रम में बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग भी शामिल हुए। सुरक्षा बलों और प्रशासन की तत्परता के चलते यह आयोजन सुरक्षित और व्यवस्थित रहा।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जश्न सिर्फ श्रीनगर तक सीमित नहीं रहा। दिल्ली के इंडिया गेट पर भी सैकड़ों दीए जलाए गए और सभी ऐतिहासिक किले और धरोहर स्थान रोशन हुए। वाराणसी और अयोध्या के घाटों पर भी इस अभियान के तहत सैकड़ों दीपक जलाए गए। देश के अलग-अलग हिस्सों में भी लोग ऑपरेशन सिंदूर के नाम पर दीयों और मोमबत्तियों से अपने घरों और सार्वजनिक स्थलों को रोशन कर रहे थे।
सिर्फ शहरों में ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान सीमा से लगे बॉर्डर पर तैनात सेना के जवानों ने भी दिवाली मनाई और ऑपरेशन सिंदूर के तहत दीपक जलाकर माहौल को रोशन किया। जवानों ने मोमबत्तियों और दीयों से रेत के टीले सजाए और देशवासियों को भरोसा दिया कि उनकी दिवाली सुरक्षित है। राजस्थान, पंजाब, गुजरात और जम्मू-कश्मीर समेत सभी सीमावर्ती इलाकों में सैनिकों ने इस पर्व को धूमधाम से मनाया।