केसर के लिए मशहूर पुलवामा जिले के पांपोर में अब शाही जीरे की सुगंध फिजा में घुल रही है। केसर के फूल उतरते ही किसान शाही जीरे की खेती करने लगे हैं जो उनके लिए आर्थिक और खुशहाली का द्वार खोल रहे हैं। केसर की तरह ही शाही जीरा महंगा होता है। इसका मूल्य गुणवत्ता और खुशबू के आधार पर तय होता है।

Cultivation of royal cumin in Pulwama increased in few months price from Rs  5000 to Rs 5200 per Kilo Jagran Special

देश में काले जीरे की सबसे पुरानी खेती उत्तरी कश्मीर में नियंत्रण रेखा से सटे गुरेज में होती आई है। उसके बाद यह जम्मू संभाग के किश्तवाड़ के कुछ हिस्सों में और हिमाचल के ऊपरी क्षेत्रों में उगाया जाता रहा है। स्वाद और औषधीय गुणों के आधार पर गुरेज में पैदा होने वाला काला जीरा सबसे बेहतर है। डेढ़ हजार से तीन हजार किलो तक काला जीरा बिकता है। इसके रंग के आधार पर काला जीरा कहा जाता है। यह ज्यादातर पूर्वी यूरोप, मध्यपूर्व और पश्चिम एशिया में उगता है।

दक्षिण कश्मीर में पांपोर में दुनियाभर का सबसे बेहतरीन केसर पैदा होता है। नवंबर से जून-जुलाई तक यह खेत सूने रहते हैं क्योंकि केसर के फूल अगस्त में धीरे-धीरे खिलना शुरू होते हैं। केसर उत्पादक खेतों में केसर के अलावा अन्य कोई दूसरी फसल नहीं उगा पाते हैं क्योंकि इन खेतों में सब्जियां, फल, सरसों, चावल नहीं उगाया जा सकता। अगर उगाएंगे तो केसर के कार्न और बल्ब क्षतिग्रस्त हो जाएंगे। इन सभी बातों को ध्यान में रख शेर-ए-कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय कश्मीर के वैज्ञानिकों ने पांपोर में केसर के खेतों और आसपास स्थित करेवा में शाही जीरा उगाने के लिए तीन वर्ष पहले प्रयोग शुरूकिए। दो वर्ष पूर्व पांपोर में काला जीरा की खेती के लिए अनुसंधान केंद्र स्थापित किया गया।

Cumin Cultivation Income (Jeera), Yield, Project Report | Agri Farming

 काला जीरा मसाले तौर पर ही मुख्यत: इस्तेमाल होता है। यह खाने का स्वाद बढ़ाने के साथ पेट की बीमारियों जैसे भूख की कमी, कब्ज, एसिडिटी का इलाज करता है। इसका तेल भी बनाया जाता है। इसके तेल का इस्तेमाल शराब को सुंगधित बनाने में होता है।

किसान फैसल शाह ने बताया कि काले जीरे का बीज अगर एक कनाल के खेत में तैयार किया जाए तो करीब एक लाख की कमाई होगी। काला जीरा की मांग देश-विदेश में बहुत है। हमसे केसर खरीदने वाले कई ग्राहक काला जीरा भी मांगते हैं। गुरेज में पैदा होने वाले जीरे का 10-15 प्रतिशत ही हमारे पास पहुंचता है, शेष वहीं से देश-विदेश के खरीदार लेते हैं।