लेह। लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने कहा है कि पाकिस्तान और चीन की सीमाओं से सटा संवेदनशील क्षेत्र होने के कारण लद्दाख में हिंसा की कोई जगह नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि जो भी लोग माहौल बिगाड़ने की कोशिश करेंगे, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। इस मामले में मजिस्ट्रियल जांच भी शुरू कर दी गई है।

लद्दाख में अभी भी धारा 163 लागू है, जिसके तहत लोगों के एकत्र होने पर रोक है, ताकि हालात दोबारा बिगड़ने से बचें। स्थिति अब धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। दुकानों, कार्यालयों और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों ने कामकाज शुरू कर दिया है, स्कूलों में पढ़ाई भी जारी है और यातायात सामान्य रूप से चल रहा है।

गड़बड़ी फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई
उपराज्यपाल ने कहा कि कुछ लोग जानबूझकर गड़बड़ी फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। डीपफेक वीडियो के प्रसारण और अफवाहों के फैलाव के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। हिंसा भड़काने वाले कई लोगों को हिरासत में लिया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया, “जो निर्दोष हैं उन्हें न्याय मिलेगा और जो दोषी हैं उन्हें सजा, यही हमारा उद्देश्य है।”

लद्दाख की संवेदनशीलता पर जोर
गुप्ता ने लद्दाख की रणनीतिक महत्वता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह क्षेत्र पाकिस्तान और चीन की सीमाओं से सटा हुआ है। उन्होंने कहा कि देश की एकता और अखंडता बनाए रखना सर्वोपरि है और लद्दाख के लोग हमेशा देशभक्त रहे हैं।

न्यायिक जांच पर स्थिति
उपराज्यपाल ने बताया कि मजिस्ट्रियल जांच शुरू हो चुकी है और केंद्र सरकार न्यायिक जांच की आवश्यकता पर विचार कर रही है। उन्होंने हिंसा में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना जताई और कहा कि हालात ऐसे बने कि सख्त कदम उठाना जरूरी हो गया था। मारे गए लोगों में एक पूर्व सैनिक भी शामिल था, जिनके बच्चे आर्मी स्कूल में पढ़ते हैं।

वार्ता के लिए अपील
कविंदर गुप्ता ने लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) से अपील की कि वे 6 अक्टूबर को प्रस्तावित केंद्र सरकार की वार्ता में भाग लें। उन्होंने कहा कि बातचीत से ही समाधान निकल सकता है। LAB और KDA लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। फिलहाल दोनों संगठन वार्ता से दूरी बनाए हुए हैं और न्यायिक जांच की मांग के साथ हिरासत में लिए गए लोगों की रिहाई की भी मांग कर रहे हैं।