मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने शुक्रवार को रांची के होटवार स्थित मेधा डेयरी प्लांट परिसर में राज्य के पहले मिल्क पाउडर प्लांट की आधारशिला रखी। इस अवसर पर उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि केवल आजीविका का साधन नहीं, बल्कि राज्य और देश की आर्थिक संरचना की नींव है। इसलिए सरकार इस क्षेत्र को सुदृढ़ करने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है और किसानों से अपील की कि वे इन योजनाओं से जुड़कर अपने जीवनस्तर को बेहतर बनाएं।
खेती को व्यवसायिक दृष्टिकोण से देखने की जरूरत
उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब खेती को पारंपरिक तरीके से हटकर व्यवसायिक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए। इस संदर्भ में उन्होंने पूर्व क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर एक खिलाड़ी खेती में नवाचार कर सकता है तो आम किसान भी बड़े बदलाव ला सकते हैं। साथ ही, उन्होंने उत्पादों के वैल्यू एडिशन और बेहतर बाजार उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
कार्यक्रम के दौरान ‘मेधा रागी लड्डू’, ‘मेधा सूधन खाद’ और पशु चारे के लिए ‘साइलेज मशीन’ की शुरुआत भी की गई।
पशुपालन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती
मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती के साथ-साथ पशुपालन को भी आय का मुख्य साधन बनाया जा सकता है। सरकार अब पशुपालकों को दिए जाने वाले पशुओं का बीमा भी करवा रही है, ताकि किसी भी दुर्घटना की स्थिति में किसानों को आर्थिक नुकसान न हो।
कृषि, पर्यावरण और पोषण की सुरक्षा का साधन
उन्होंने कहा कि जहां बड़े उद्योग पर्यावरण को प्रभावित करते हैं, वहीं कृषि एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जो प्रकृति के अनुकूल है। उन्होंने यह भी कहा कि कुपोषण की समस्या का समाधान पशुपालन के ज़रिए शुद्ध और पोषक आहार उपलब्ध कराकर किया जा सकता है। सरकार की प्राथमिकता में किसान हैं और उनके कल्याण के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।
उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में शामिल रहे
इस कार्यक्रम में कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की, विधायक सुरेश बैठा, सचिव अबू बकर सिद्दीक, पशुपालन निदेशक किरण पासी, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के अध्यक्ष मीनेश शाह और झारखंड मिल्क फेडरेशन के प्रबंध निदेशक जयदेव विश्वास प्रमुख रूप से मौजूद रहे।