देश के कई राज्यों की तरह झारखंड में भी कोयला संकट गहरा रहा है। राज्य के प्रमुख तेनुघाट ताप बिजली घर टीटीपीएस में मात्र दो दिन का कोयला बचा है। नियम 20 दिन का स्टॉक रखने का है, लेकिन कोयले की किल्लत से संकट आसन्न है। इस बीच, कोयला संकट के कारण देश के 12 राज्यों में बिजली कटौती शुरू हो चुकी है।

तेनुघाट संयंत्र ललपनिया में है। टीवीएनएल के इस संयंत्र में कोयला संकट गहरा रहा है। यहां सिर्फ दो दिनों का कोयला बचा है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकारण का नियम है कि ताप बिजली घरों के पास कम से कम 20 दिनों का स्टॉक रहना चाहिए। ताकि आपूर्ति के किसी संकट के वक्त बिजली उत्पादन पर असर न पड़े। राहत की बात यह है कि डीवीसी के कोडरमा, मैथन व चंद्रपुरा संयंत्रों में 20-20 दिनों का कोयला स्टॉक है। 

टीवीएनएल के प्रबंध निदेशक अनिल शर्मा के अनुसार टीटीपीएस को रोज कम से कम दो रैक कोयले की जरूरत है, लेकिन यह नियमित रूप से नहीं मिल पाता है। महीने में 20 दिन सीसीएल की ओर से एक-एक रैक कोयला भेजा जाता है। 10 दिन ऐसा होता है, जब दो रैक कोयला भेजा जाता है।इसलिए कोयले का स्टॉक नहीं रख पाते हैं। अभी कोयले की आपूर्ति धीमी है। 

सीसीएल की ओर से टीटीपीएस को कोयले की आपूर्ति की जाती है। तेनुघाट की दो इकाइयों में रोज 325 से 330 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। शुक्रवार को 325 मेगावाट उत्पादन हुआ। संयंत्र को पर्याप्त कोयला नहीं मिला, तो एक इकाई को बंद करना पड़ेगा। 

देश में कोयले से बिजली बनाने वाले संयंत्रों के पास 12 अप्रैल को मात्र 8.4 दिन का कोयला बचा हुआ था। कोयले की कमी के कारण उत्पादन प्रभावित होने से 12 राज्यों ने बिजली कटौती शुरू कर दी है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने माना है, कुछ राज्यों में कोयले की कमी हो गई है। हालांकि, इसके लिए उन्होंने अलग कारण बताए हैं। 

12 राज्यों में बिजली कटौती शुरू
देश में अप्रैल में बिजली की मांग 38 वर्षों में सबसे ज्यादा है, जबकि कोयले की आपूर्ति बीते दस सालों में सबसे कम। पूरे वित्त वर्ष की बात करें तो बिजली संयंत्रों में कोयले की आपूर्ति पिछले साल के मुकाबले 24.5% बढ़कर 67.767 करोड़ टन रही है। इसके बावजूद, बढ़ी मांग से यह आपूर्ति भी कम पड़ रही है। कायदे से संयंत्रों के पास एक महीने का कोयला स्टॉक होना चाहिए। 

महाराष्ट्र में 2500 मेगावाट बिजली की कमी है। ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में कटौती की घोषणा की गई है। आंध्र प्रदेश में मांग से 8.7 फीसदी बिजली कम है। वहीं, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री सिंह ने बताया कि तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, राजस्थान में आयात बंद करने या रेलवे से समय पर आपूर्ति न होने से कोयले की कमी हुई है। बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है। अनुमान है कि इस बार मांग में जबरदस्त इजाफा होगा, जो चार दशक में सबसे अधिक होगी।