दुनियाभर में चिंता का कारण बने काेराेना के डेल्टा प्लस वैरिएंट के 5 राज्यों में 43 मामले सामने आ चुके हैं। सर्वाधिक संक्रमित महाराष्ट्र में मिले हैं। इसे देखते हुए केंद्र ने झारखंड काे अलर्ट किया है। राज्य सरकार काे भेजे पत्र में केंद्र ने कहा है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट के कारण तीसरी लहर की आशंका है।
ऐसे में व्यापक स्तर पर काेविड जांच करें, काॅन्टैक्ट ट्रेसिंग कर जांच करें और टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाएं। भीड़ राेकने और काेविड प्राेटाेकाॅल का सख्ती से पालन सुनिश्चित करें। झारखंड में अप्रैल से जून के बीच एकत्र नमूनाें काे जिनाेम सिक्वेंसिंग के लिए आईएसएल भुवनेश्वर भेजा गया था। रांची, जमशेदपुर, धनबाद, हजारीबाग और पलामू से भेजे गए कुल 328 सैंपलाें में से 204 में डेल्टा, 63 में कप्पा, 29 में अल्फा वैरिएंट मिले हैं।
क्या है डेल्टा प्लस और कितना है खतरनाक
कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट (B.617.2) भारत ही नहीं, दुनिया के तमाम देशों में चिंता बढ़ा रहा है। अब तक यह म्यूटेंट होकर डेल्टा प्लस या AY.1 में भी तब्दील हो गया है। डेल्टा वैरिएंट की स्पाइक में K417N म्यूटेशन जुड़ जाने का कारण डेल्टा प्लस वैरिएंट बना है। K417N द. अफ्रीका में पाए गए कोरोना वायरस के बीटा वैरिएंट और ब्राजील में पाए गए गामा वैरिएंट में पाया गया है। यह इतना खतरनाक है कि काेराेना से ठीक हाेने के बाद शरीर में जाे एंटीबाॅडी बनी है, वह भी डेल्टा प्लस वैरिएंट के खिलाफ कारगर नहीं हाेता।
बड़ी परेशानी- झारखंड में जीनाेम सिक्वेंसिंग के लिए मशीन ही नहीं
झारखंड में जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए मशीन नहीं है। यहां से सैंपल जांच के लिए आईएसएल भुवनेश्वर भेजे जा रहे हैं। इससे सैंपल का रिजल्ट मिलने में काफी देरी हो रही है। ऐसे में डेल्टा प्लस वैरिएंट की पहचान और रोकथाम में मुश्किल आ सकती है।
क्या डेल्टा प्लस पर प्रभावकारी है टीका, वैज्ञानिक करेंगे अध्ययन
क्या नया वैरिएंट ज्यादा घातक है, देश के माैजूदा टीकाें से उन्हें बेअसर किया जा सकता है, इसका पता लगाने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के वैज्ञानिक स्टडी करेंगे।