हेमंत सोरेन सरकार की महत्वाकांक्षी 'मईयां सम्मान योजना', जिसने पिछली बार सत्ता वापसी में अहम भूमिका निभाई थी, अब उसी योजना की खामियों के कारण विवादों में आ गई है। योजना के सुचारू क्रियान्वयन में अनियमितताओं के चलते राज्य की लाखों महिलाएं अब भी इसके लाभ से वंचित हैं, जिसे विपक्ष ने बड़ा मुद्दा बना लिया है।

एक अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र में भारतीय जनता पार्टी और आजसू इस योजना को लेकर सरकार पर जोरदार हमला बोलने की तैयारी में हैं। विपक्ष का आरोप है कि योजना के अंतर्गत जिन 58 लाख महिलाओं को लाभ पहुंचाने की घोषणा की गई थी, उनमें से बड़ी संख्या में नाम बाद में हटा दिए गए।

भाजपा के मुख्य सचेतक नवीन जायसवाल का कहना है कि योजना में भारी अनियमितता हुई है। कई अपात्र व्यक्तियों, यहां तक कि कुछ अन्य राज्यों और पड़ोसी देश की महिलाओं के नाम भी लाभार्थी सूची में दर्ज हो गए हैं। इतना ही नहीं, कुछ मामलों में महिलाओं की जगह पुरुषों को भी लाभ मिलते देखा गया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि योजना में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है, जो गरीब महिलाओं के साथ अन्याय है।

भाजपा और आजसू इस योजना को महज "चुनावी जाल" करार दे रहे हैं और इसे गरीब तबके के साथ विश्वासघात बता रहे हैं। दोनों दलों ने मानसून सत्र में इस योजना के साथ-साथ कानून-व्यवस्था, रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मुद्दों पर भी सरकार को घेरने की तैयारी की है।

वहीं, सत्ताधारी झामुमो के प्रदेश प्रवक्ता मनोज पांडेय ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि झारखंड में महिलाओं को जो सम्मान और सहायता मिल रही है, वह भाजपा शासित राज्यों में दुर्लभ है। उन्होंने दावा किया कि सरकार लगातार योजना की निगरानी और आवश्यक सुधारों पर काम कर रही है।

सभी की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि मानसून सत्र के दौरान यह मुद्दा किस दिशा में जाता है और क्या सरकार विपक्ष के सवालों का संतोषजनक जवाब दे पाती है।