झारखंड : पलामू टाइगर रिजर्व से शिफ्ट किए जाएंगे रेलवे ट्रैक – वन विभाग

वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व से रेलवे ट्रैक शिफ्ट किए जाएंगे। इसके लिए रेलवे मंत्रालय और राज्य के वन विभाग के अधिकारियों की संयुक्त टीम जल्द ही रेलवे ट्रैक की संभावित जगहों के लिए सर्वे शुरू करेंगी। इस सर्वे में पलामू टाइगर रिजर्व में स्थित दो रेलवे ट्रैक को शिफ्ट करने के साथ ही तीसरे ट्रैक के लिए भी जगह की तलाश की जाएगी। बता दें कि अभी रेलवे ट्रैक पलामू टाइगर रिजर्व के कोर इलाके से होकर गुजरते हैं। माना जा रहा है कि इन रेलवे ट्रैक को जंगल के कोर इलाके से शिफ्ट करके बफर जोन में बनाया जा सकता है। 

पलामू टाइगर रिजर्व से गुजरता है फ्रेड कॉरिडोर
बिहार के सोन नगर से झारखंड के पतरातु के बीच का फ्रेट कॉरिडोर पलामू टाइगर रिजर्व से होकर गुजरता है। साथ ही 11 किलोमीटर का नया रेलवे ट्रैक भी प्रस्तावित है। वन विभाग इसका विरोध कर रहा है। वन विभाग का कहना है कि यह फ्रेट कॉरिडोर टाइगर रिजर्व के मध्य से होकर गुजरता है। नए ट्रैक के बन जाने से टाइगर रिजर्व दो हिस्सों में बंट जाएगा और बार-बार यहां से ट्रेनों के गुजरने से भी वन्य जीवों का जीवन और उनका मूवमेंट भी प्रभावित होगा। 

रेलवे ट्रैक के लिए तलाशी जा रही नई जगह
नेशनल टाइगर कंजर्वेटिव अथॉरिटी ने भी पलामू टाइगर रिजर्व में एक और रेलवे लाइन के निर्माण का लेकर चेताया है। वन विभाग के विरोध के बाद झारखंड सरकार ने इसका संज्ञान लेकर रेलवे को ट्रैक शिफ्ट करने का प्रस्ताव दिया है। जिसके बाद अब रेलवे ट्रैक को टाइगर रिजर्व के बफर जोन में शिफ्ट करने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। रेलवे भी इसके लिए तैयार है और रेलवे ट्रैक के लिए नई जगह की तलाश की जा रही है। 

वन्य जीवों के लिए पलामू टाइगर रिजर्व अहम
बता दें कि पलामू टाइगर रिजर्व का गठन 1974 में हुआ था। 1,129 वर्ग किलोमीटर में फैले इस टाइगर रिजर्व का कोर इलाका 414 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें आमतौर पर बाघ पाए जाते हैं। बाकी का हिस्सा बफर जोन है। बफर जोन में से 53 वर्ग किलोमीटर पर्यटकों के लिए खुला है। पलामू टाइगर रिजर्व में हाथी, तेंदुए, भेड़िए, पेंगोलिन, हिरण आदि जंगली जानवर पाए जाते हैं। साल 2020 में यहां दो बाघ भी देखे गए थे। साल 1964 में पलामू टाइगर रिजर्व में पहली रेलवे लाइन बिछाई गई थी और दूसरी रेलवे लाइन 1974-75 में बिछाई गई। 

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