झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र में प्रसिद्ध तसर रेशम के उत्पादन को प्रदर्शित करने के लिए गणतंत्र दिवस के परेड में झारखंड की झांकी के तौर पर चुना गया है। एक अधिकारी ने बताया कि झारखंड उन 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शामिल है जिनकी झांकी को 26 जनवरी की परेड के लिए चुना गया है।

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, 'देश को झारखंड के दुमका और गोड्डा के रेशन से परिचित कराया जाएगा।' उत्पादन से जुड़े सभी चीजों को झांकी में प्रदर्शित किया जाएगा। दुमका और गोड्डा के आठ हजार लोग तसर के उत्पादन में जुटे हुए हैं। यहां चार प्रकार के सिल्क है, मलबेरी, ईरी, मुंगा और तसर। 

तसर का 70 फीसदी उत्पादन झारखंड में 
अधिकारी ने बताया कि मलबेरी, ईरी और मुंगा सामान्य प्रकार है जिन्हें घरों के अंदर भी पैदा किया जा सकता है। वहीं तसर जंगली प्रकृति का है। देश का 70 फीसदी तसर का उत्पादन झारखंड में होता है, जिसमें से 40 फीसदी का उत्पादन संथाल परगना क्षेत्र में किया जाता है। अधिकांश तसर को बिहार के भागलपुर में भेजा जाता है, जहां अंतिम उत्पाद बनाया जाता है। अंतिम उत्पाद को मयूराक्षी सिल्क ब्रांड के तहत बनाया जाता है। 

दुमका के कला, संस्कृति और खेल मंत्री तुफान कुमार पोद्दार ने बताया कि मौजूदा समय में इसका उत्पाद कम हो गया है, लेकिन इसे एकबार फिर बढ़ाने पर काम किया जा रहा है। तसर सिल्क का सरिहन प्रकार दुमका में पाया जाता है। यह तसर का सर्वोच्च किस्म है। गणतंत्र दिसव के परेड के लिए झांकी 19 जनवरी तक तैयार हो जाएगा। 23 जनवरी को यह झांकियों के अभ्यास में हिस्सा लेगा।