झारखंड में राकांपा के एकमात्र विधायक कमलेश सिंह ने हुसैनाबाद को अलग जिला न बनाने को लेकर बुधवार को राज्य की हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की घोषणा की। इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर पलामू जिले के अनुमंडल हुसैनाबाद को 31 अक्तूबर तक अलग जिला न बनाया गया तो अपना समर्थन वापस ले लेंगे।
हुसैनाबाद के विधायक कमलेश सिंह न कहा कि उनकी पार्टी ने 2020 में झामुमो के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को इस शर्म पर समर्थन दिया था कि अनुमंडल को जिला बना जाएगा। उन्होंने कहा, हुसैनाबाद की जनता सरकार के हार चुकी है। उनकी लंबे समय से लंबित मांगे पूरी नहीं हुई हैं। इसलिए, इस सरकार के साथ रहने का कोई मतलब नहीं है।
महाराष्ट्र में राकांपा के भीतर विभाजन के बाद कमलेश सिंह अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट का हिस्सा बन गए, जो भाजपा की सहयोगी है। हालांकि, वह झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा बने रहे, जिसमें झामुमो, राजद और कांग्रेस शामिल हैं। कमलेश सिंह ने आरोप लगाया कि राज्य की जनता सोरेन सरकार के कुशासन से त्रस्त है। यह लोगों की उम्मीदों को पूरा करने में विफल हो गई है। राकांपा कार्यकर्ता झारखंड में गठबंधन सरकार की पोल खोलेंगे।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज्य में अवैध रेत खनन बढ़ गया है, जिससे सरकारी खजाने को भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है। 81-सदस्यीय झारखंड विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के 48 विधायक हैं, जिसमें 30 झामुमो के हैं। वहीं 17 विधायक कांग्रेस और एक राजद से हैं। राज्य विधानसभा में भाजपा के 26 और आजसू पार्टी के तीन विधायक हैं। राकांपा और भाकपा माले के एक-एक विधायक हैं, जबकि दो निर्दलीय हैं।