अप्रैल आते ही गर्मी ने रंग दिखाना शुरू कर दिया है। सुबह हुई नहीं कि सूरज देवता आगबबूला हो जाते हैं। सड़कों पर दिन के 9 बजे से ही धूल उड़नी शुरू हो जाती है।

ठेलों पर नींबू-पानी, गन्ने के जूस से लोग गला तर करते दिखने लगे हैं। पारा चढ़ने के साथ ही हीटवेव यानी लू ने भी झुलसाना शुरू कर दिया है।

इस दौरान राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा सहित उत्तर भारत में गर्मी प्रचंड रूप दिखाएगी।

मौसम विभाग के मुताबिक, दिल्ली में रविवार 9 अप्रैल का दिन इस साल का अब तक का सबसे गर्म दिन रहा है। यहां रिज और स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स में सबसे ज्यादा 37 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज हुआ। इतना ही नहीं, अगले तीन दिनों में गर्मी और बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं।

हीटवेव की वजह से 30 साल में जान गंवा बैठे 26 हजार लोग

हीटवेव कितनी खतरनाक है, इसका अनुमान भारत सरकार के एक आंकड़े से लगाया जा सकता है कि 1990 से 2020 के बीच देश में 25,983 लोगों की मृत्यु हीटवेव की वजह से हुई।

15 साल से नहीं आ रहा वसंत, हीटवेव का दायरा बढ़ा

पर्यावरणविद् सोपान जोशी कहते हैं कि पहले सर्दी के बाद वसंत के मौसम भी रहता था। लेकिन, ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से पिछले 10 से 15 साल से वसंत खत्म सा होता गया है।

यही वजह है कि अब अप्रैल, मई और मानसून आने तक हीटवेव ही रहेगी। इसके बाद उमस वाली गर्मी पड़ेगी। यानी बहुत तेजी से गर्मी आएगी, बीच में टेम्परेचर थोड़ा सामान्य होगा, फिर बहुत तेजी से ठंड आएगी।

जानिए वह स्थिति जब हवाएं बन जाती हैं हीटवेव

भारत में जब किसी मैदानी क्षेत्र में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी क्षेत्रों में 30 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाता है तो इसे हीटवेव की स्थिति कहा जाता है। इस दौरान इलाके की नमी में भी इजाफा होता है।

हालांकि, इस तरह का प्रयोग सबसे पहले एक इटैलियन आर्किटेक्ट स्टेफानो बोरी ने इटली के मिलान शहर में किया था। इसके बाद बोरी की टीम ने यही प्रयोग चीन में शुरू किया।

कम्युनिटी डिजाइन एजेंसी की संस्थापक और MD संध्या नायडू जनार्दन कहती हैं कि घर बनाते वक्त हवा के लिए रास्ता और खिड़की-झरोखे, मैटेरियल और कंस्ट्रक्शन का ध्यान रखना जरूरी है।

आंगन और घरों की छतों पर लगाए गए पेड़-पौधों की वजह से ठंडक रहती है। ऐसे घर हीटवेव से राहत दे सकते हैं।

घर बनाने को लेकर रिटायर्ट IAS अफसर डॉ. सुभाष शर्मा ने कहा कि घर के सामने और पीछे कुछ जमीन जरूर छोड़ें और वहां पेड़ पौधे लगाएं।

ऐसा संभव न हो तो पक्की छत के ऊपर मोटी पॉलीथिन बिछाएं। ऊपर से मिट्टी डालकर सब्जी, फूल वाले पौधे लगाएं।

इससे घर भी ठंडा रहेगा और घर की सब्जियों और बगीचे का आनंद भी उठाया जा सकेगा।