18 वर्ष से कम उम्र में ही लड़कियों की शादी होना का कारण,झारखंड में 60 फीसदी लड़कियां एनीमिया से हुई ग्रसित

जिले में लड़कियों-बालिकाओं की स्थिति अच्छी नहीं है। स्वास्थ्य, शिक्षा व सामाजिक सुरक्षा इसका पैमाना है। जिले में 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों की संख्या लगभग 2 लाख 41 हजार से ऊपर है। इसमें 60 फीसदी लड़कियां एनीमिया से ग्रसित है। ऐसे में किशोरियां अपने घर परिवार की जिम्मेदारियां कैसे उठाएंगी, यह एक बड़ा सवाल है।

सबसे बड़ी बात यह है कि एक गैर सरकारी आंकड़े के अनुसार जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में 27 प्रतिशत से ऊपर 18 वर्ष से कम उम्र में ही लड़कियों की शादी कर दी जाती है। उनका स्वास्थ्य परीक्षण नहीं कराया जाता। कम उम्र में मां बनने में उन्हें परेशानी होती है। कम उम्र में मां बनने के कारण अधिकतर किशोरियों को रक्त की कमी हो जाती है।

झारखंड में किशाेरियाें की संख्या 65 लाख से अिधक

वही हम पूरी राज्य की बात करें तो झारखंड में 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों की संख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 65 लाख है। एक गैर सरकारी संस्था असर की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में भी किशोरियों के स्वास्थ्य की हालत ठीक नहीं है। राज्य की 67 फीसदी किशोरियां एनीमिया ग्रस्त है। यह आंकड़ा देशभर में सर्वाधिक है।

यदि हम किशोरियों की शिक्षा की बात करें तो भी हालत बहुत अच्छी नहीं है। शिक्षा संबंधी रिपोर्ट के अनुसार 97 फीसदी लड़कियों का नामांकन होता है, लेकिन इनमें से 9 वी व दसवीं कक्षा में सिर्फ 25 फीसदी तथा 11वीं व 12वीं कक्षा में सिर्फ 14 प्रतिशत लड़कियां ही पहुंच पाती है । शिक्षा व स्वास्थ्य की बदतर हालत के अलावा लड़कियों को बाल विवाह जैसी कुरीतियां भी झेलनी पड़ती है।

आंकड़ों पर गौर करें तो आज हमारा युवा पीढ़ी, खासकर लड़कियां जिसको हम बराबरी का दर्जा देने की बात करते उनका बचपन ही बीमार है। उनके शरीर में रक्त की कमी है। मासिक धर्म, गर्भधारण, स्तनपान व मैनोपॉज के दौरान उन्हें कैल्शियम की भी कमी हो जाती है। हालांकि ऐसे किशोरियों के लिए जिले में आंगनबाड़ी सेविकाओं के मार्फत दवाइयां, स्वास्थ्य संबंधी कई अहम जानकारियां, चेक अप आदि कराए जाते हैं लेकिन यह नाकाफी है।

हर महीना होता है चेकअप : सीएस

इस संबंध में हजारीबाग के सिविल सर्जन संजय जायसवाल कहते हैं कि जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर महिलाओं व किशोरियों का महीने में हेल्थ चेकअप होता है। उन्हें आयरन की गोलियां व जोक की दवा एल्बेंडाजोल दी जाती है। आंगनबाड़ी सेविका महिलाओं को कई स्वास्थ्य संबंधी जानकारी भी देती है।

एनीमिया से बचाव के लिए ग्रामीण स्तर तक योजनाएं चलाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि एनीमिया से ग्रसित किशोरियां और महिलाएं हरी पत्तेदार सब्जियां, चुकंदर, शकरकंद जो ग्रामीण क्षेत्रों में बहुतायत मात्रा में मिलती है, उनका भरपूर सेवन करे। महीने में एक बार अपना स्वास्थ्य का चेकअप जरूर करवाएं, ताकि एनीमिया जैसे रोग को भगाया जा सके।

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