देशभर में चल रहे ऑपरेशन सिंदूर के तहत अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान और जांच की प्रक्रिया तेज हो गई है। मध्यप्रदेश के ग्वालियर, भोपाल, इंदौर, जबलपुर, कटनी और शाजापुर जिलों में अब तक 386 संदिग्ध प्रवासियों की पहचान की जा चुकी है। इनमें अकेले ग्वालियर जिले में 94 व्यक्तियों को चिह्नित किया गया है, जिन पर बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में प्रवेश का संदेह है।

तीन राज्यों से जुड़ी पहचान, दस्तावेज जांच के घेरे में
इन सभी संदिग्धों ने मूल रूप से पश्चिम बंगाल, बिहार और असम से संबंध होने का दावा किया है। उन्होंने पुलिस के समक्ष पहचान पत्र, आधार कार्ड, राशन कार्ड समेत अन्य दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं, लेकिन उनकी प्रामाणिकता संदेह के घेरे में है।

सीएसपी रोबिन जैन के अनुसार, दस्तावेजों की पुष्टि के लिए छह विशेष टीमें गठित की गई हैं, जिन्हें पश्चिम बंगाल, बिहार और असम के 27 जिलों में भेजा गया है। ये टीमें संबंधित जिलों में स्थानीय प्रशासन की मदद से दस्तावेजों की जांच करेंगी।

संदिग्धों में अधिकांश मुस्लिम समुदाय से
प्रशासन के मुताबिक ग्वालियर में दर्ज किए गए अधिकांश संदिग्ध मुस्लिम समुदाय से हैं, जो बीते कुछ वर्षों में यहां आकर बसे हैं। इन्होंने अस्थायी बस्तियों या किराए के मकानों में निवास करना शुरू किया और कथित तौर पर भारत की नागरिकता से जुड़े दस्तावेज तैयार कराने की कोशिश की।

सूत्रों के मुताबिक ग्वालियर में दर्ज संदिग्धों में से अधिकांश ने पश्चिम बंगाल के हुगली (62 व्यक्ति) और पश्चिम मिदनापुर (30 व्यक्ति) से संबंध बताया है, जबकि बांकुड़ा और पूर्व मिदनापुर से एक-एक व्यक्ति का दावा है।

जांच के बाद होगी कानूनी कार्रवाई
पुलिस प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि वर्तमान में यह केवल संदेह के आधार पर की जा रही पड़ताल है और अभी किसी को अवैध घोषित नहीं किया गया है। दस्तावेजों की पुष्टि के बाद यदि किसी व्यक्ति के अवैध प्रवेश की पुष्टि होती है, तो उसके खिलाफ विदेशी अधिनियम समेत संबंधित धाराओं में कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

राष्ट्रीय सुरक्षा के तहत चल रहा अभियान
गृह मंत्रालय के निर्देश पर संचालित यह अभियान राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से अहम माना जा रहा है। अवैध घुसपैठ के जरिए आतंकी गतिविधियों, फर्जी दस्तावेजों की तैयारियों और सरकारी सुविधाओं के दुरुपयोग की आशंका को देखते हुए यह सर्वे कराया जा रहा है।