फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक जावेद अहमद सिद्दीकी के पिता हम्माद अहमद के महू स्थित पैतृक मकान को लेकर जारी तोड़फोड़ नोटिस के खिलाफ याचिका पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की। यह याचिका मकान में रह रहे अब्दुल मजीद की ओर से दायर की गई है।
अब्दुल मजीद के वकील अजय बागड़िया ने अदालत को बताया कि मकान का स्वामित्व अब्दुल मजीद के नाम है, क्योंकि हम्माद सिद्दीकी अब जीवित नहीं हैं और उन्होंने इसे उपहारस्वरूप (गिफ्ट डीड) दिया था। उन्होंने बताया कि महू कैंटोनमेंट बोर्ड ने अवैध निर्माण हटाने के लिए तीन दिन का नोटिस जारी किया था, लेकिन नोटिस में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि अतिक्रमण कितना है और किस हिस्से में है।
पूर्व में भी जारी हुए थे नोटिस
अधिवक्ता अजय बागड़िया ने कहा कि इसी तरह के नोटिस पहले 1996 और 1997 में भी जारी किए गए थे, लेकिन उस समय न तो कोई कार्रवाई हुई और न ही कब्जा हटाया गया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 2025 के दिशा-निर्देश का हवाला देते हुए कहा कि अवैध निर्माण हटाने से पहले कम से कम 15 दिन का नोटिस देना अनिवार्य है, इसलिए केवल तीन दिन की अवधि अनुचित है।
हाईकोर्ट ने दी राहत
सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने अब्दुल मजीद को अपनी प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने के लिए 15 दिनों की मोहलत दी। साथ ही यह निर्देश दिया कि यदि संपत्ति के खिलाफ कोई आदेश पारित होता है, तो उसे चुनौती देने के लिए अतिरिक्त 10 दिन का समय मिलेगा।
अधिवक्ता ने दोहराया कि यह मकान अब्दुल मजीद की वैध संपत्ति है और हम्माद अहमद का अब मजीद से कोई संबंध नहीं है। मामले की अगली सुनवाई तय समय पर होगी।