मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को लेकर सर्वदलीय बैठक आयोजित की और सभी दलों ने इसे लागू करने पर सहमति जताई। बैठक में सभी पक्षों ने राज्य में ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित करने का संकल्प पारित किया।
सीएम ने बताया कि बैठक में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और भाजपा के प्रतिनिधि शामिल हुए। सभी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में चल रहे प्रकरण पर चर्चा की और यह तय किया कि सभी वकील आपस में मिलकर 10 सितंबर तक मामले पर चर्चा करें, ताकि एक समान रुख अपनाया जा सके।
डॉ. यादव ने कहा कि वर्तमान में होल्ड-अनहोल्ड अभ्यर्थियों में 14 प्रतिशत को स्पष्ट कर दिया गया है, जबकि 13 प्रतिशत मामलों का निपटारा बाकी है। उनका लक्ष्य है कि 13 प्रतिशत अभ्यर्थियों को भी आरक्षण का लाभ मिले और कोई उम्मीदवार नौकरी से वंचित न रहे।
पृष्ठभूमि
- 8 मार्च 2019 को 14 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को 27 प्रतिशत में बढ़ाने के लिए अध्यादेश जारी किया गया।
- 14 अगस्त 2019 को इसे विधानसभा में अधिनियम का रूप दिया गया।
- 24 दिसंबर 2019 को नया रोस्टर जारी हुआ।
- कुछ याचिकाओं और स्थगन आदेशों के कारण 27 प्रतिशत आरक्षण का पूर्ण क्रियान्वयन अब तक संभव नहीं हो पाया।
- सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई 22 सितंबर 2025 को निर्धारित है।
सरकार ने पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का गठन कर इस वर्ग की सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति का अध्ययन किया। आयोग ने पहली और दूसरी रिपोर्ट प्रस्तुत की। विभिन्न कोर्ट मामलों में आरक्षण के लागू होने और फॉर्मूले की वैधता को सुनिश्चित किया गया।
बैठक में शामिल प्रमुख लोग
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के अलावा भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव, अन्य दलों के अध्यक्ष और विधायकों ने बैठक में भाग लिया। सभी ने मिलकर ओबीसी आरक्षण को लागू करने के लिए एकमत रुख अपनाया।