छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत से जुड़ा कफ सिरप मामला जबलपुर तक पहुंच गया है। जांच में सामने आया है कि जिस दवा के सेवन से बच्चों की तबीयत बिगड़ी थी, उसमें डाई-इथिलीन ग्लाइकोल की अत्यधिक मात्रा पाई गई है — जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है और किडनी फेल होने का कारण बन सकती है।

दो लैब रिपोर्टों में खतरनाक रासायनिक तत्व की पुष्टि
तमिलनाडु स्थित ड्रग टेस्टिंग लेबोरेट्री की रिपोर्ट में सिरप में 48.6 प्रतिशत डाई-इथिलीन ग्लाइकोल पाया गया, जबकि शासकीय औषधीय प्रयोगशाला से मिली रिपोर्ट में इसकी मात्रा 46.8 प्रतिशत बताई गई है। दोनों रिपोर्टों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सीरप में यह प्रतिबंधित रासायनिक पदार्थ मिला हुआ था।

कंपनी और चिकित्सक पर मामला दर्ज
इस मामले में सीरप तैयार करने वाली कंपनी और चिकित्सक डॉ. प्रवीण सोनी के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। आरोप है कि जानलेवा रासायनिक तत्व की मौजूदगी के बावजूद सीरप का उत्पादन और बिक्री की गई।

जबलपुर की फार्मा कंपनी पर कार्रवाई
जबलपुर के नौदराब्रिज स्थित कटारिया फार्मा के खिलाफ रविवार को जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की। कंपनी परिसर को सील करने की प्रक्रिया दोपहर में शुरू हुई, जिसमें ओमती थाना पुलिस और औषधि विभाग के अधिकारी मौजूद थे। बताया जा रहा है कि यही कंपनी छिंदवाड़ा में सप्लाई हुए कफ सिरप की निर्माता या आपूर्तिकर्ता थी।

सैंपल परीक्षण और आगामी कदम
औषधि निरीक्षक ने कटारिया फार्मा से कोल्ड्रिफ सीरप के नमूने लेकर प्रयोगशाला भेजे थे। जांच के दौरान बचा हुआ स्टॉक जब्त कर उसकी बिक्री पर रोक लगा दी गई थी। साथ ही, जिन दवा दुकानों पर यह सिरप सप्लाई किया गया था, वहां भी बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है।

औषधि विभाग ने बताया कि पहले भी फार्मा कंपनी के 50 यूनिट फ्रीज किए जा चुके हैं और 16 नमूने परीक्षण के लिए लैब भेजे गए थे। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई तय की जाएगी।

स्थानीय प्रशासन सतर्क
इस बीच, मुख्यमंत्री के प्रस्तावित नगर दौरे से ठीक पहले हुई इस कार्रवाई ने जिले में हलचल बढ़ा दी है। स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन ने कहा है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।