हाई कोर्ट ने इंदौर कलेक्टर की निंदा की, कहा गुणदोष पर विचार करे बगैर कॉपी-पेस्ट कर जारी हो रहे हैं आदेश

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इंदौर कलेक्टर द्वारा दो सगे भाइयों के खिलाफ रासुका के तहत जारी आदेश को निरस्त करते हुए हाई कोर्ट ने इंदौर कलेक्टर की निंदा की है। कोर्ट ने कहा कि गुणदोष पर विचार किए बगैर कलेक्टर ने किसी दूसरे व्यक्ति के खिलाफ दर्ज एफआइआर को जस का तस कॉपी-पेस्ट कर आदेश जारी कर दिया। इस तरह से कॉपी पेस्ट कर आदेश जारी करने से आम आदमी को संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का हनन हो रहा है।

पुलिस थाना राजेंद्र नगर ने 18 अप्रैल 2021 को कांटाफोड़ जिला देवास निवासी मेडिकल रिप्रजेंटेटिव शुभम परमार और उसके भाई डॉ. भूपेंद्र परमार के खिलाफ नकली रेमडेसीविर इंजेक्शन के मामले में केस दर्ज करते हुए दोनों को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने इसी दिन निलेश चौहान नामक एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ भी नकली रेमडेसीविर इंजेक्शन के मामले में कायमी की थी। एसपी द्वारा प्रेषित प्रतिवेदन के आधार पर कलेक्टर ने निलेश के खिलाफ रासुका के तहत आदेश जारी कर दिया। 20 अप्रैल को कलेक्टर इंदौर ने शुभम और भूपेंद्र के खिलाफ भी रासुका के तहत ऐसा ही एक अन्य आदेश जारी कर दिया। दोनों भाई तब से ही जेल में हैं।

उन्होंने कलेक्टर के आदेश को चुनौती देते हुए एडवोकेट ऋषि तिवारी के माध्यम से हाई कोर्ट में दो अलग-अलग याचिका दायर की। एडवोकेट तिवारी ने कोर्ट को बताया कि कलेक्टर ने बगैर गुणदोष पर विचार करे रासुका के तहत आदेश जारी किया है। शुभम और भूपेंद्र के खिलाफ जारी आदेश में जो तथ्य दिए हैं उनका उनसे कोई लेना देना नहीं है।

दरअसल कलेक्टर ने निलेश के खिलाफ जारी आदेश में टंकित तथ्यों को जस का तस कॉपी पेस्ट कर आदेश जारी किया है। गुणदोष पर विचार करने के बजाय पहले किसी मामले में जारी आदेश को कॉपी पेस्ट किया गया है। गुरुवार को जस्टिस सुजाय पाल और जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की युगलपीठ ने 13 पेज का आदेश जारी करते हुए कलेक्टर द्वारा 20 अप्रैल 2021 को रासुका के तहत जारी आदेश को निरस्त कर दिया।

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