मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति की तलाक याचिका को खारिज करते हुए उसकी पत्नी की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह ‘आदर्श भारतीय पत्नी’ की मिसाल हैं। कोर्ट ने यह भी बताया कि पति ने उन्हें छोड़ दिया, लेकिन पत्नी ने सास-ससुर की सेवा और देखभाल जारी रखी, जो उसकी नैतिक मजबूती और हिंदू संस्कृति की बुनियाद को दर्शाता है।

याचिका दाखिल करने वाला पति 1998 में शादीशुदा है और स्पेशल आर्म्ड फोर्स में कॉन्स्टेबल है। वह 2006 से पत्नी से अलग रह रहा है और तलाक के लिए क्रूरता के आरोप लगाए थे, जिन्हें निचली अदालत ने खारिज कर दिया था। इसके बाद उसने हाई कोर्ट का रुख किया, जहां जस्टिस विवेक रूसिया और बिनोद कुमार द्विवेदी की बेंच ने 5 अगस्त को फैसला सुनाया।

कोर्ट ने कहा कि पति के तलाक के दावे बेहद कमजोर और आधारहीन हैं। पत्नी ने पति के छोड़ने के बाद भी अपने सास-ससुर की सेवा पूरी निष्ठा से की। उन्होंने कहा, “वह अपने सास-ससुर के साथ उतनी ही श्रद्धा और सेवा से पेश आई, जितनी कि पति के साथ रहते हुए करती। यह उसकी आंतरिक मजबूती का प्रमाण है।”

कोर्ट ने आगे बताया कि पत्नी ने अपने दर्द को सहन तो किया, लेकिन इसे सहानुभूति हासिल करने के लिए नहीं उपयोग किया। उसकी मजबूती, धैर्य और गरिमा हिंदू औरत की सच्ची शक्ति का परिचायक है। कोर्ट ने विवाह के पवित्र संस्कार को भी रेखांकित करते हुए कहा कि ऐसी महिलाएं शादी के प्रतीक जैसे मंगलसूत्र और सिंदूर को त्यागती नहीं हैं क्योंकि शादी उनके लिए एक पवित्र बंधन है, न कि केवल कानूनी अनुबंध।

कोर्ट ने कहा कि हिंदू धर्म में शादी एक अविभाज्य, पवित्र और अनश्वर बंधन है। भले पति उन्हें छोड़ दे, एक आदर्श पत्नी अपनी मर्यादा और धर्म को कभी नहीं छोड़ती। कोर्ट ने कहा, “पति के छोडऩे के बावजूद वह अपने धर्म और संस्कारों के प्रति अडिग रही।”

पति ने यह भी दावा किया था कि पत्नी ने वैवाहिक जिम्मेदारियां नहीं निभाईं, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि दोनों का एक बेटा है, जो अब बड़ा हो चुका है, यह उनके वैवाहिक संबंधों की वास्तविकता को दर्शाता है।

पति ने आरोप लगाया कि पत्नी ने उस पर एक महिला सहकर्मी के साथ गलत संबंध होने का इल्जाम लगाया। कोर्ट ने इसे क्रूरता नहीं माना और कहा कि पति के छोड़ने पर पत्नी की यह शंका स्वाभाविक है। पत्नी ने आरोपों को झूठा बताया और कहा कि पति गलत आधार पर तलाक मांग रहे हैं। कोर्ट ने पत्नी के पक्ष को सही मानते हुए कहा कि उसने ये आरोप सार्वजनिक तौर पर नहीं बल्कि केवल याचिका के जवाब में बताए हैं।

इस प्रकार, हाई कोर्ट ने पति की तलाक याचिका खारिज करते हुए पत्नी के चरित्र और नैतिक बल की सराहना की और उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों को आधारहीन करार दिया।