मप्र के इंदौर में जन्मीं भारत रत्न लता मंगेशकर आज हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी आवाज सबके दिलों में बसी है। इंदौर से तो उनका गहरा नाता रहा है और इसी इंदौर में उनके गीतों का संग्रहालय है। संभवतः पूरे देश में यही ऐसा संग्रहालय है जहां लताजी का गाया हर गीत उपलब्ध है।
दरअसल इस संग्रहालय का नाम है लता दीनानाथ मंगेशकर ग्रामोफोन रिकॉर्ड संग्रहालय जो इंदौर के पास पिगडंबर (राऊ) में स्थित है। लता जी के प्रशंसक सुमन चौरसिया ने इसे बनाया है। उनके पास लता मंगेशकर के गाए हुए सभी साढ़े सात हजार गानों का संग्रह है। सुमन के संग्रह में करीब 30 भाषाओं, बोलियों में गाए गए लगभग 30 हजार फिल्मी और गैर फिल्मी गीत भी शामिल हैं। चौरसिया लता जी के इतने बड़े फैन हैं कि वे सालों पहले लता जी के गानों का एल्बम रिलीज होने पर उसे लेने फ्लाइट से मुंबई चले जाते थे। एक बार जब उन्हें लता जी के कुछ गानों की रिकॉर्डिंग देश भर में कहीं नहीं मिली, तो वह उन्हें हासिल करने सीधे लता जी के पास मुंबई ही पहुंच गए थे। लता जी ने भी सहृदयता दिखाते हुए सुमन चौरसिया को संग्रहालय के लिए अपने गीतों की रिकॉर्डिंग सौंपी थी।

मीडियासुमन के पास लता मंगेशकर जी के गाए गीतों का देश का सबसे बड़ा संग्रह है। लता मंगेशकर द्वारा गाए गए करीब साढ़े सात हजार गीत पूरे देश में केवल इंदौर के सुमन चौरसिया के पास मौजूद हैं। उनके संग्रह में कई दुर्लभ गीत हैं। इसलिए जब लता जी को इस संग्रह के बारे में पता चला, तो उन्होंने सुमन चौरसिया से अपने कई दुर्लभ गाने भेजने की मांग की। लता जी ने जो गीत चौरसिया से मांगे थे उनमें ज्यादातर वो गीत हैं, जो उनके करियर के शुरुआती दिनों के हैं। चौरसिया ने उन्हें करीब 200 गीत सीडी में रिकॉर्ड कर भेजे, क्योंकि ओरिजनल ग्रामोफोन रिकॉर्ड वो किसी को नहीं देते। लता जी ने देश की लगभग हर भाषा के साथ-साथ भोजपुरी, मैथिली, मागधी, गढ़वाली, और छत्तीसगढ़ी जैसी बोलियों में भी गीत गाए हैं। इसके साथ ही श्रीलंका की सिंहली, अफ्रीका की स्वाहिली और इंडोनेशियन भाषा के गीतों को भी उन्होंने अपने सुरों से नवाजा है। सुमन चौरसिया के संग्रह में ये सब गीत भी मौजूद हैं।

सुमन चौरसिया कहते हैं कि मैं बचपन से लताजी का प्रशंसक हूं। उनके हर गानों के ग्रामोफोन रिकॉर्ड वर्ष 1965 से सहेजने शुरू किए थे। फिलहाल मेरे पास ऐसे करीब 7600 ग्रामोफोन रिकॉर्ड का संग्रह है। इनमें वे दुर्लभ गीत हैं जो लताजी ने देशी-विदेशी, मराठी सहित 30 अलग-अलग भाषाओं और बोलियों में गाए हैं। वर्ष 2008 में उन्होंने इस संग्रह को व्यवस्थित करने के लिये संग्रहालय का रूप दे दिया था।इस संग्रहालय का नाम दिया गया लता दीनानाथ मंगेशकर ग्रामोफोन रिकॉर्ड संग्रहालय। उन्होंने कहा कि मुझे एक दिन महसूस हुआ कि, “लताजी की जन्मस्थली इंदौर में उनके नाम पर एक संग्रहालय होना चाहिये, ताकि संगीत प्रेमी एक ही छत के नीचे उनकी सुरीली विरासत का आनंद उठा सकें। तब से मैं उनके गाये गीतों के ग्रामोफोन रिकॉर्ड खोजने में जुट गया।

1965 से सहेजने शुरू किए थे गीत
चौरसिया ने 2008 में अपने संग्रहालय को लता दीनानाथ मंगेशकर ग्रामोफोन रिकॉर्ड संग्रहालय नाम दिया। संग्रहालय की ओर से लता मंगेशकर पर केन्द्रित तीन पुस्तकों का प्रकाशन भी किया गया। पहली किताब है लता समग्र, जो लता जी के गाए करीब साढ़े सात हजार गीतों का कोश है। इसमें हिन्दी के साथ ही अन्य देशी- विदेशी भाषाओं के गीत, गैर फिल्मी गीत, अप्रदर्शित फिल्मों के गीत शामिल हैं। इस कोश में गीत की पहली लाइन के साथ फिल्म का नाम, वर्ष, गीतकार और संगीतकार के नाम भी दिए गए हैं। ये एक तरह का संदर्भ ग्रंथ ही है। दो और किताबें हैं, जिनमें लता जी के गीतों पर गीत समीक्षक अजात शत्रु की लिखी समीक्षाएं हैं।