मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का फैसला: महाकाल मंदिर गर्भगृह में प्रवेश का अधिकार अब कलेक्टर के पास

बीते 18 अगस्त को इंदौर निवासी दर्पण अवस्थी ने वकील चर्चित शास्त्री के जरिए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में यह सवाल उठाया गया कि आम भक्तों को महाकाल मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश नहीं मिल रहा है, जबकि नेताओं, उनके परिजनों, व्यापारियों और रसूखदारों को विशेष अनुमति दी जा रही है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलीलें सुनीं और आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसे आज सुनाया गया। कोर्ट ने मंदिर की मौजूदा व्यवस्था बनाए रखने के साथ गर्भगृह में प्रवेश का अधिकार उज्जैन कलेक्टर रोशन कुमार सिंह को सौंप दिया।

महाकाल मंदिर में आम भक्तों के प्रवेश पर रोक और वीआईपी श्रद्धालुओं को विशेष अनुमति देने के मामले में हाईकोर्ट ने कलेक्टर के आदेश को मान्यता दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि गर्भगृह में किसे प्रवेश मिलेगा, यह तय करने का अधिकार केवल कलेक्टर के पास है। फिलहाल, यथास्थिति कायम रहेगी और आम भक्तों के लिए गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।

इस फैसले के बाद एडवोकेट चर्चित शास्त्री ने बताया कि वे कुछ दिनों में रिव्यू पिटीशन दाखिल करेंगे। उनका कहना है कि यह लाखों महाकाल भक्तों से जुड़ा मामला है और वे अपनी दलीलें पुनः कोर्ट के सामने रखेंगे।

याचिका में प्रदेश सरकार, महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति, उज्जैन कलेक्टर और एसपी उज्जैन को पक्षकार बनाया गया था। एडवोकेट शास्त्री ने तर्क दिया कि दूर-दराज से आने वाले साधारण श्रद्धालुओं को गर्भगृह में प्रवेश नहीं मिलता, जबकि प्रभावशाली लोगों को विशेष अनुमति मिलती है, जो अनुचित और भेदभावपूर्ण है।

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