खंडवा (मध्यप्रदेश)। प्रसिद्ध तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में प्रस्तावित ममलेश्वर लोक निर्माण परियोजना को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। ब्रह्मपुरी क्षेत्र में लगभग 120 करोड़ रुपये की यह परियोजना स्थानीय लोगों और संत समाज के विरोध का केंद्र बनी हुई है। जहां सरकार इसे यथास्थान बनाने पर अड़िग है, वहीं प्रभावित परिवारों में भविष्य को लेकर गंभीर चिंता व्याप्त है। इसी को लेकर रविवार को शहरवासियों ने सोमवार को स्वैच्छिक बंद का निर्णय लिया।

मुख्यमंत्री से आश्वासन के बावजूद समाधान नहीं

कुछ दिन पहले षट् दर्शन संत मंडल के अध्यक्ष संत मंगलदास त्यागी, मांधाता विधानसभा के विधायक नारायण पटेल, नगर परिषद के पार्षद और अन्य गणमान्य लोगों ने मुख्यमंत्री से मिलकर अपने आग्रह रखे थे। शनिवार को खंडवा में सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल, स्थानीय विधायकगण और प्रशासनिक अधिकारियों से नगर परिषद के प्रतिनिधियों ने पुनः मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने परियोजना स्थल बदलने की मांग की, क्योंकि वर्तमान प्रस्तावित स्थान पर कई आश्रम, मठ, मंदिर, मकान, दुकानें और होटल प्रभावित होंगे।

प्रशासन का स्पष्ट रुख

सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल और कलेक्टर ने कहा कि ममलेश्वर लोक का निर्माण यथास्थान ही होगा। इसके बाद संत मंगलदास त्यागी जी महाराज के आश्रम में बड़ी बैठक हुई, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए। संत समाज ने स्पष्ट किया कि यदि परियोजना स्थल नहीं बदला गया और आश्रम-मठों को तोड़ा गया, तो देशभर से संत ओंकारेश्वर में पहुंच सकते हैं।

स्थानीय लोगों की चिंता

ब्राह्मपुरी क्षेत्र की सदियों पुरानी आबादी को विस्थापन और पुनर्वास को लेकर गहरी चिंता है। होटल, दुकान, नौका संचालन और सेवा कार्यों से जुड़े लोग आजीविका खोने के डर से असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई और जीवन व्यवस्था को लेकर भी भारी बेचैनी है। सूत्रों के अनुसार, प्रशासन सोमवार से सर्वे पुनः शुरू कर सकता है, जबकि लोग सोशल मीडिया पर बंद को लेकर अभियान चला रहे हैं।

आंदोलन बढ़ने की संभावना

संत समाज के कड़े रुख और जनता की एकजुटता ने मामले को निर्णायक मोड़ पर ला दिया है। प्रशासन और संत समाज दोनों अपने-अपने रुख पर अडिग हैं, जिससे भविष्य में आंदोलन और व्यापक होने की संभावना है। कल होने वाला स्वैच्छिक बंद तय करेगा कि ओंकारेश्वर की जनता किस हद तक एकजुट है और आंदोलन किस दिशा में जाएगा।