भोपाल में अजाक्स के प्रांतीय अधिवेशन के दौरान संगठन के नवनिर्वाचित प्रांतीय अध्यक्ष और आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा ने एक विवादित टिप्पणी देकर सुर्खियां बटोरी हैं। उन्होंने सवर्ण समाज और आरक्षण को लेकर ऐसा बयान दिया, जिसे लेकर समाज में असंतोष फैल गया है। वायरल हो रहे वीडियो में वर्मा ने कहा कि एक परिवार में व्यक्ति को आरक्षण तब तक मिलना चाहिए जब तक उनके बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी का दान न दे या उससे संबंध न बनाए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर आरक्षण आर्थिक आधार पर दिया जाना है, तो तब तक जारी रहना चाहिए।
इस बयान पर मंत्रालय सेवा अधिकारी/कर्मचारी संघ ने आपत्ति जताते हुए इसे “अपमानजनक और अस्वीकार्य” बताया और तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
ब्राह्मण समाज की प्रतिक्रिया:
अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के प्रदेश अध्यक्ष पुष्पेंद्र मिश्रा ने कहा कि ऐसे बयानों की घोर निंदा की जानी चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से संतोष वर्मा के तत्काल निष्कासन और उनके खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की। मिश्रा ने चेतावनी दी कि यदि कार्रवाई नहीं हुई, तो पूरे प्रदेश में आंदोलन किया जाएगा।
कर्मचारी संघ और मंत्रालय की निंदा:
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने कहा कि संगठन के मंच पर इस तरह की बयानबाजी से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी कार्यालयों में विभिन्न जाति और धर्म के लोग साथ काम करते हैं और ऐसे बयानों से आपसी मतभेद बढ़ते हैं।
मंत्रालय सेवा अधिकारी/कर्मचारी संघ के अध्यक्ष इंजीनियर सुधीर नायक ने भी इस बयान की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि विवाह पूरी तरह निजी मामला है और किसी को भी अपनी पसंद से जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्रता है। नायक ने याद दिलाया कि कई प्रसिद्ध दलित नेताओं ने ब्राह्मण समुदाय की महिलाओं से विवाह किया है, जैसे डॉ. भीमराव अंबेडकर और रामविलास पासवान। उन्होंने कहा कि समाज अब काफी बदल चुका है और जाति आधारित निजी मुद्दों को आरक्षण बहस में शामिल करना अनुचित है।
इस विवाद ने अजाक्स संगठन और सवर्ण समाज के बीच नई बहस को जन्म दे दिया है, और प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है कि वह मामले में तुरंत कदम उठाए।