मुंबई। 11 जुलाई 2006 को हुए मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल बम धमाकों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी 12 आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष इन पर आरोप सिद्ध करने में असफल रहा। इस फैसले के बाद समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आज़मी ने प्रतिक्रिया दी है और इसे “देर से मिला न्याय” करार दिया है।
अबू आज़मी ने कहा कि वह शुरुआत से ही यह बात कहते रहे हैं कि 2006 के धमाकों में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया, वे निर्दोष थे। उन्होंने कहा, “करीब दो दशक बाद कोर्ट ने इन लोगों को बेगुनाह करार दिया है, यह न्याय का स्वागतयोग्य निर्णय है, लेकिन यह इंसाफ काफी देर से मिला है।”
जांच एजेंसियों पर पक्षपात का आरोप
आजमी ने पुलिस और जांच एजेंसियों की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि देश में जब भी कोई धमाका होता है, तब असली दोषियों को पकड़ने के बजाय निर्दोष मुसलमानों को निशाना बनाया जाता है। उन्होंने इसे सांप्रदायिक पूर्वाग्रह का परिणाम बताया।
उनका कहना था, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन बेकसूरों की रिहाई तक कुछ लोगों को आपत्ति हो रही है, जो समाज में नफरत के बढ़ते माहौल की ओर इशारा करता है।”
सरकार से की पांच अहम मांगें
अबू आज़मी ने सरकार से इस फैसले के बाद निम्नलिखित मांगें की हैं:
- बरी किए गए सभी निर्दोष लोगों को घर, नौकरी और उचित मुआवजा दिया जाए।
- जिन जांच एजेंसियों ने इन्हें झूठे मामलों में फंसाया, वे सार्वजनिक रूप से माफी मांगें।
- मामले में लापरवाही या पक्षपात करने वाले अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई हो।
- एक नई विशेष जांच टीम (SIT) का गठन कर असली दोषियों की तलाश की जाए।
- मुस्लिम समुदाय को बार-बार “सॉफ्ट टारगेट” बनाने की मानसिकता पर रोक लगाई जाए।