महाराष्ट्र के मालेगांव में वर्ष 2008 में हुए बम विस्फोट मामले में एनआईए की विशेष अदालत ने 17 साल बाद अपना फैसला सुनाया। सबूतों के अभाव में अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। इस पर अलग-अलग राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।

AIMIM प्रमुख ने उठाए सवाल

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने फैसले को निराशाजनक बताया। उन्होंने कहा कि विस्फोट में छह नमाजी मारे गए और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे, जिन्हें केवल उनके धर्म के आधार पर निशाना बनाया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एनआईए ने इस मामले में कमजोर जांच की, जिससे आरोपी छूट गए।

ओवैसी ने सरकार से सवाल पूछा कि क्या केंद्र या महाराष्ट्र सरकार इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करेगी, जैसे उन्होंने मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट केस में किया था? साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि उन छह लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार कौन है।

भाजपा पर गंभीर आरोप

ओवैसी ने आरोप लगाया कि 2016 में इस केस की तत्कालीन विशेष लोक अभियोजक रोहिणी सालियान ने कहा था कि एनआईए ने उन्हें आरोपियों के प्रति नरम रुख अपनाने का निर्देश दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि 2017 में एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा को राहत दिलाने की कोशिश की, जो बाद में 2019 में भाजपा सांसद बनीं। उन्होंने सवाल किया कि क्या जांच में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होगी?

भाजपा नेताओं ने फैसले का किया स्वागत

भाजपा नेता और उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अदालत के फैसले की सराहना की। उन्होंने कहा कि इससे कांग्रेस के 'भगवा आतंकवाद' के झूठे नैरेटिव का पर्दाफाश हुआ है। मौर्य के अनुसार, तत्कालीन सरकार ने असली दोषियों को पकड़ने के बजाय निर्दोष हिंदुओं पर दबाव बनाकर अपराध स्वीकार करवाने की कोशिश की।

शिवसेना सांसद ने बताया न्याय की जीत

शिवसेना (शिंदे गुट) के सांसद नरेश म्हस्के ने कहा कि यह सत्य की विजय है। उन्होंने कहा कि यह मामला 17 वर्षों से चल रहा था और अब अदालत के फैसले से स्पष्ट हो गया है कि पूर्ववर्ती सरकार ने 'हिंदू आतंकवाद' का झूठा मुद्दा खड़ा किया था।

क्या था मामला?

29 सितंबर 2008 को मालेगांव की एक मस्जिद के पास खड़ी मोटरसाइकिल में विस्फोट हुआ था। इस धमाके में छह लोगों की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा घायल हुए थे। इस मामले में साध्वी प्रज्ञा समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था। बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि एनआईए आरोप साबित करने में असफल रही, इसलिए सभी आरोपी बरी किए जा रहे हैं।