महाराष्ट्र के वरिष्ठ मंत्री और ओबीसी नेता छगन भुजबल ने स्पष्ट किया है कि मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण में शामिल करना उचित नहीं होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ओबीसी के अधिकारों पर सेंध लगाई गई तो लाखों लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर सकते हैं।

यह बयान ऐसे समय आया है जब मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल 29 अगस्त से मुंबई के आजाद मैदान में अनशन पर बैठे हैं। उनकी मांग है कि मराठाओं को कुंबी दर्जा देकर ओबीसी आरक्षण का लाभ दिया जाए।

भुजबल ने ओबीसी नेताओं की बैठक के बाद कहा कि राज्य के 374 समुदायों के लिए केवल 17 प्रतिशत आरक्षण बचा है। उन्होंने कहा कि मराठाओं को इसमें शामिल करना अन्य ओबीसी समुदायों के साथ अन्याय होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि मराठाओं को अलग आरक्षण देने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन ओबीसी कोटे को छेड़ना ठीक नहीं।

भुजबल ने बताया कि 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण में से 6 प्रतिशत खानाबदोश जनजातियों को, 2 प्रतिशत गोवारी समुदाय को और शेष छोटे-छोटे हिस्सों में बांटा गया है। उन्होंने याद दिलाया कि अदालत ने पहले ही मराठाओं को ओबीसी में शामिल करने की मांग को ‘मूर्खतापूर्ण’ करार दिया है।

उन्होंने कहा, "ओबीसी समुदाय पहले से ही सरकारी नौकरियों और शिक्षा में सीमित अवसरों के लिए संघर्ष कर रहा है। अगर उनका कोटा घटाया गया तो लोग सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे।" उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से भी मुलाकात कर ओबीसी संगठनों की चिंताओं को रखा।

कोर्ट का आदेश और अनशन
मुंबई उच्च न्यायालय ने आंदोलनकारियों को मंगलवार दोपहर 12 बजे तक सड़कें खाली कराने के निर्देश दिए। सोमवार को अनशन का चौथा दिन था और जरांगे के समर्थकों ने आजाद मैदान के आसपास सड़कें रोक रखी थीं, जिससे दक्षिण मुंबई का यातायात बाधित हुआ।

कोर्ट ने कहा कि आंदोलन करने का अधिकार सभी को है, लेकिन पांच हजार से अधिक लोग इकट्ठा नहीं हो सकते और आजाद मैदान से बाहर प्रदर्शन नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट के आदेश के बाद मुख्यमंत्री ने पालन का आश्वासन दिया और मनोज जरांगे ने समर्थकों से सड़कों पर उपद्रव न करने की अपील की।