‘भाषा के नाम पर दादागिरी बर्दाश्त नहीं’- अठावले का राज ठाकरे पर तीखा हमला

महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर बढ़ते विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने रविवार को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे की हालिया टिप्पणियों की कड़ी आलोचना की। उन्होंने ठाकरे के बयानों को उकसाने वाला और ‘दबंगई’ को बढ़ावा देने वाला बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि किसी को भी मराठी बोलने के लिए मजबूर करना उचित नहीं है।

“क्या ठाकरे सबको रोजगार देंगे?” – अठावले
अठावले ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ऐसी घटनाओं की वजह से उद्योग प्रभावित होते हैं, तो क्या राज ठाकरे बेरोजगार हुए लोगों को रोज़गार उपलब्ध कराएंगे? उन्होंने यह भी कहा कि मुंबई केवल मराठी भाषियों की नहीं है, यहां सभी समुदाय के लोग रहते और काम करते हैं। उन्होंने उद्धव ठाकरे को भी आड़े हाथों लेते हुए पूछा कि जहां उनके पिता बालासाहेब ने हिंदुओं के लिए अहम योगदान दिया था, वहीं वे मौजूदा समय में हिंदुओं की रक्षा के लिए क्या कर रहे हैं?

भाषा को लेकर हिंसा गलत: अठावले
केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि भाषा के आधार पर किसी के साथ मारपीट करना निंदनीय है। उन्होंने कहा, “जो लोग मराठी नहीं बोलते, उन्हें मारने की बात करना कानून और लोकतंत्र दोनों के खिलाफ है। ‘थप्पड़ मारने’ जैसी भाषा बंद होनी चाहिए। मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है, जहां विभिन्न भाषाओं और क्षेत्रों के लोग रहते हैं। उद्योगों में गैर-मराठी भाषी लोगों की भागीदारी भी महत्वपूर्ण है।”

मनसे कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई की मांग
अठावले ने राज्य सरकार से अपील की कि भाषा के नाम पर हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा, “जो लोग मुंबई में रहते हैं या बाहर से आए हैं, वे भी मराठी बोलते हैं। लेकिन लोगों को डराकर भाषा थोपी नहीं जा सकती। जो लोग दूसरों पर हमला करते हैं, उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए।”

विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
हालिया विवाद उस समय भड़का जब राज ठाकरे ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से कहा कि जो लोग मराठी नहीं बोलते, उन्हें सबक सिखाएं, लेकिन इसकी रिकॉर्डिंग न करें। यह बयान उस घटना के बाद आया, जब मनसे कार्यकर्ताओं पर एक व्यवसायी के कार्यालय पर हमला करने का आरोप लगा था क्योंकि उसने मराठी बोलने से इनकार किया था।

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक मंच पर
यह विवाद तब और चर्चित हो गया जब शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने वर्षों बाद पहली बार राज ठाकरे के साथ मंच साझा किया। राज ठाकरे ने रैली में कहा था, “मराठी जानना ज़रूरी है, चाहे वह गुजराती हो या कोई और। मारपीट का समर्थन नहीं करता, लेकिन अगर कोई नाटक करता है, तो कान के नीचे मार देना चाहिए।”

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