मुंबई के दादर कबूतरखाना बंद करने को लेकर जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीएमसी के इस फैसले के विरोध में अब जैन संत निलेशचंद्र विजय ने मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने सोमवार को आजाद मैदान में बीएमसी के खिलाफ धरना शुरू किया और चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो यह प्रदर्शन अनिश्चितकाल तक जारी रहेगा।

दादर कबूतरखाना जैन समुदाय के लिए धार्मिक परंपरा का प्रतीक रहा है, जहां समुदाय के लोग वर्षों से कबूतरों को दाना खिलाते आए हैं। लेकिन स्थानीय निवासियों की शिकायत और कबूतरों से फैलने वाली बीमारियों को देखते हुए बीएमसी ने हाल ही में इस स्थान को बंद करने का निर्णय लिया था।

बीएमसी ने फिलहाल चार नई जगहों—वर्ली रिजर्वायर, अंधेरी पश्चिम के लोखंडवाला मैंग्रोव क्षेत्र, एयरोली-मुंलुंड चेक पोस्ट और बोरीवली पश्चिम के गोराई ग्राउंड—पर सुबह 7 से 9 बजे तक नियंत्रित तरीके से दाना डालने की अनुमति दी है। बीएमसी का कहना है कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट और अदालत के निर्देश आने तक यह व्यवस्था अस्थायी रूप से लागू रहेगी।

हालांकि, जैन संत निलेशचंद्र विजय ने इन वैकल्पिक स्थानों को अव्यवहारिक बताया। उन्होंने कहा, “बीएमसी ने जो जगहें दी हैं, वे दादर कबूतरखाने से कई किलोमीटर दूर हैं। क्या कबूतर इतनी दूर उड़कर जाएंगे? नई जगह मौजूदा स्थल से दो किलोमीटर के दायरे में होनी चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर आजाद मैदान में प्रदर्शन की अनुमति नहीं मिली, तो वे दादर कबूतरखाना स्थल पर ही विरोध करेंगे।

उधर, स्थानीय निवासियों ने बीएमसी के निर्णय का स्वागत किया है। उनका कहना है कि कबूतरों की बीट से बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ गया था और स्वच्छता पर असर पड़ रहा था। वहीं, जैन समुदाय का तर्क है कि यह परंपरा सदियों पुरानी है और इसे धार्मिक भावना से जोड़कर देखा जाना चाहिए।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बीएमसी और जैन समाज के बीच यह टकराव कब और कैसे सुलझता है।