महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में दीवाली से पहले गीला सूखा घोषित किया जाए। जरांगे ने चेताया कि अगर सरकार इस दिशा में कदम नहीं उठाती है, तो वे आंदोलन छेड़ने को मजबूर होंगे।
बीड़ जिले के नारायणगढ़ में दशहरा रैली के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए जरांगे ने कहा कि किसानों को केवल काम का दर्जा ही नहीं, बल्कि हर महीने आर्थिक सहायता भी दी जानी चाहिए। उन्होंने सरकार और भाजपा नेता पंकजा मुंडे की आलोचना करते हुए कहा कि किसानों के हितों की अनदेखी नहीं हो सकती।
मराठवाड़ा क्षेत्र—छत्रपति संभाजीनगर, धाराशिव, लातूर, नांदेड, जलना, हिंगोली, परभणी और बीड़—में हाल ही में हुई तेज बारिश और बाढ़ ने हजारों हेक्टेयर फसल को नुकसान पहुंचाया है। इसको ध्यान में रखते हुए जरांगे ने सरकार से प्रभावित किसानों के लिए मुआवजे की भी मांग की। उन्होंने कहा कि अगर केवल फसल नष्ट हुई है तो किसानों को 70,000 रुपये प्रति हेक्टेयर, फसल और जमीन दोनों नष्ट हुई हों तो 1.30 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर दिए जाएं। जिन किसानों के घर और फसल दोनों प्रभावित हुए हों, उन्हें 100 प्रतिशत मुआवजा मिलना चाहिए। साथ ही गन्ना किसानों से 15 रुपये प्रति क्विंटल की कटौती न की जाए और किसानों के कर्ज माफ किए जाएं।
जरांगे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्रियों एकनाथ शिंदे और अजित पवार, शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे सहित अन्य नेताओं से मदद जुटाने का आग्रह किया। उन्होंने चेताया कि अगर किसानों की मांगें पूरी नहीं हुईं, तो आगामी चुनावों में मतदान प्रभावित करने के लिए आंदोलन करेंगे।
मराठा आरक्षण पर बोलते हुए जरांगे ने कहा कि मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र के मराठों को आरक्षण मिलने से समुदाय सशक्त होगा। उन्होंने पंकजा मुंडे के 'गजट ऑफ स्लेवरी' वाले बयान की भी तीखी आलोचना की और कहा, “क्या हमारे बच्चों को गुलाम कहते हैं? अगर हम गुलाम हैं, तो क्या ब्रिटिश आपके रिश्तेदार थे?”
इस बयान से साफ है कि मनोज जरांगे किसानों और मराठा समुदाय के हितों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की पूरी तैयारी में हैं।