मुंबई: बॉम्बे उच्च न्यायालय ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि मुंबई में वायु प्रदूषण के हालिया बढ़ोतरी के लिए इथियोपिया में ज्वालामुखी विस्फोट से उत्पन्न राख के बादलों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। अदालत ने कहा कि ज्वालामुखी विस्फोट से पहले ही शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) खराब स्तर पर था। इस मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार के लिए तय की गई है।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड ने उन याचिकाओं पर विचार किया, जो 2023 से लंबित हैं और मुंबई में वायु गुणवत्ता बिगड़ने पर कार्रवाई की मांग करती हैं। याचिकाकर्ताओं के वरिष्ठ वकील दुष्यंत खंभाटा और जनक द्वारका दास ने तर्क दिया कि इस महीने मुंबई का AQI लगातार 300 से ऊपर रहा, जो खतरनाक स्तर माना जाता है। महाराष्ट्र सरकार की ओर से अधिवक्ता ज्योति चव्हाण ने कहा कि खराब वायु गुणवत्ता इथियोपिया में ज्वालामुखी विस्फोट के कारण हुई है।
कोर्ट ने सरकार के तर्क को तुरंत खारिज करते हुए कहा कि विस्फोट से पहले भी मुंबई में दृश्यता बहुत सीमित थी। न्यायालय ने कहा, "इस ज्वालामुखी घटना से पहले भी बाहर 500 मीटर से अधिक दूरी तक देख पाना मुश्किल था।" कोर्ट ने दिल्ली की स्थिति का उदाहरण देते हुए सवाल उठाया कि मुंबई में भी इसी तरह के प्रभावी कदम क्यों जरूरी हैं।
संदर्भ के लिए, इथियोपिया के अफार क्षेत्र में हैली गुब्बी शील्ड ज्वालामुखी रविवार को फटा, जिसने लगभग 45,000 फीट (14 किमी) ऊंचाई तक राख का विशाल बादल छोड़ा। यह राख हवा के माध्यम से लाल सागर और अरब प्रायद्वीप होते हुए भारतीय उपमहाद्वीप तक पहुंच गई।