ईवीएम को हैक किया जा सकता है… शरद पवार ने चुनाव आयोग पर बोला हमला

पूर्व केंद्रीय मंत्री एनसीपी शरद चंद पार्टी के मुखिया शरद पवार ने भी ईवीएम मशीन पर संदेह जताया है. शरद पवार ने पहली बार कहा कि ईवीएम मशीनों को हैक किया जा सकता है. हमें कुछ लोगों ने प्रेजेंटेशन दिया, लेकिन हमें विश्वास नहीं हुआ. शरद पवार ने भी हमला बोलते हुए कहा है कि अब पता चल गया है कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है, उन्हें लगा कि चुनाव आयोग गलत काम नहीं करेगा. इस दौरान पवार ने बीजेपी पर भी जमकर निशाना साधा.

शनिवार को पुणे पहुंचे शरद पवार ने कहा कि मेरे पास इस बात का सबूत नहीं है कि ईवीएम मशीनें हैक की गई थीं. चुनाव से पहले कुछ लोगों ने प्रेजेंटेशन दिया था. कहा गया कि इस तरह से मशीन को हैक करना संभव है. लेकिन यह हमारी गलती थी कि हमने उन पर भरोसा नहीं किया. हमने नहीं सोचा था कि चुनाव आयोग इतना गलत रुख अपनाएगा. शरद पवार ने कहा कि चुनाव में प्रथम दृष्टया यही दिख रहा है धांधली हुई है.

पवार बोले- चुनावों में सत्ता का दुरुपयोग देखा गया

शरद पवार ने कहा कि पहले तो हमें विश्वास ही नहीं हुआ कि 15 प्रतिशत वोट पड़े हैं. उन्होंने यह भी कहा कि लेकिन अब लगता है कि इसमें सच्चाई है. इस देश में चुनाव हुए. देश के सभी हिस्सों में अशांति है. चुनावों में सत्ता का दुरुपयोग और धन की बाढ़ देखी गई. ये बातें पहले नहीं होती थीं. ऐसी शिकायतें स्थानीय स्तर के चुनावों में सुनने को मिलती हैं, लेकिन विधानसभा चुनावों में पैसे और ताकत के इस्तेमाल से सारी व्यवस्थाओं पर कब्जा करने की तस्वीर नहीं दिखी. ऐसा इस बार महाराष्ट्र में देखने को मिला. शरद पवार ने कहा कि इससे लोगों की बेचैनी बढ़ गई है.

‘जनता को एक विद्रोह की जरूरत है’

उन्होंने आगे कहा कि कल संसद के बाहर कुछ लोगों से मुलाकात हुई. इन सभी ने जयप्रकाश नारायण को याद किया. आज किसी को कदम उठाने की जरूरत है. लोगों के बीच चर्चा का लहजा यही है. बाबा न्यासा ने पहल की. वह स्वयं महात्मा फुले से जुड़े एक ढांचे में विराजमान हैं. बाबा के अनशन से आम लोगों को एक तरह की राहत मिली है. उन्होंने इस भूमिका को एक राजनीतिक कर्तव्य के रूप में लिया. उनके लिए अकेले स्टैंड लेना ठीक नहीं है. लोगों को इस मुद्दे पर आगे आना चाहिए. अन्यथा संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था नष्ट हो जायेगी. उन्होंने उन लोगों पर हमला किया जिनके हाथों में कोई शक्ति नहीं है.

शरद पवार बोले- संसद में बोलने नहीं दिया जाता

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह जानते हुए कि लोग ईवीएम पर बहस कर रहे हैं, जब विपक्ष इस मुद्दे को संसद में उठाने की कोशिश करता है तो उन्हें बोलने नहीं दिया जाता. छह दिवसीय सत्र में विपक्ष दोनों सदनों में अपनी बात रखने की मांग कर रहा है, लेकिन छह दिन में एक बार भी मांग नहीं मानी गई. इतना ही नहीं संसद को बंद कर दिया गया. इन छह दिनों में देश के सवाल पर चर्चा नहीं होने दी गई. उन्होंने आरोप लगाया कि शासकों ने इससे लोकतांत्रिक व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है.

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