महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया है कि वह 2029 तक मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे। जब उनसे राष्ट्रीय राजनीति में उनके भविष्य के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि दिल्ली अभी बहुत दूर है और उनका फोकस महाराष्ट्र पर ही रहेगा।
उपमुख्यमंत्री शिंदे को इशारा?
विपक्ष ने इस बयान को एक अप्रत्यक्ष संदेश माना है, खासकर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के लिए। राज्य कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि फडणवीस सीधे शिंदे से बात नहीं कर सकते, इसलिए यह संकेत देने का तरीका है। इसके अलावा, यह उनके पार्टी के भीतर हालात पर नजर रखने वालों के लिए भी संदेश है।
महायुति में हुआ था पदों का बंटवारा
राज्य की महायुति गठबंधन में भाजपा, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और उपमुख्यमंत्री अजित पवार की एनसीपी शामिल हैं। 2022 में शिवसेना से अलग होने के बाद शिंदे मुख्यमंत्री बने थे और फडणवीस उपमुख्यमंत्री थे। 2024 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 132 सीटें जीतकर फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया, जबकि शिंदे उपमुख्यमंत्री बने।
केंद्रीय नेतृत्व को संदेश
फडणवीस ने कहा कि वर्तमान सरकार में कोई बदलाव नहीं होगा और पुराने गठबंधन में कोई नया साथी शामिल नहीं होगा। सचिन सावंत ने बताया कि यह बयान केंद्रीय भाजपा नेतृत्व के लिए भी संकेत है कि फडणवीस अपने पद से हटने के मूड में नहीं हैं। उन्होंने कहा, "राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में जैसे मुख्यमंत्री बदले गए, वैसा महाराष्ट्र में नहीं होगा।"
विपक्ष ने साधा निशाना
शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने कहा कि फडणवीस ने शिंदे का सपना तोड़ दिया है। एनसीपी शरद गुट के प्रवक्ता क्लाइड क्रास्तो ने इसे उन नेताओं के लिए ‘सपनों को तोड़ने वाला’ संदेश बताया जो मुख्यमंत्री बनने की इच्छा रखते थे। उन्होंने कहा कि भाजपा ने शिंदे और पवार का उपयोग केवल अपने फायदे के लिए किया और अब दोनों अप्रासंगिक हो गए हैं।
फडणवीस का यह बयान महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिरता और महायुति गठबंधन के भीतर सत्ता संतुलन को लेकर भविष्य के परिदृश्यों पर नए सवाल खड़े करता है।