केन्द्र सरकार ने सोमवार को देश में जातिगत जनगणना को मंजूरी दे दी. जिसके बाद सरकार और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है. जातिगत जनगणना वाले सरकार के इस फैसले को विपक्ष अपनी बड़ी उपलब्धि के तौर पर देख रहा है. इसी बीच शिवसेना(यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने कहा कि जातिगत जनगणना के फैसले का क्रेडिट राहुल गांधी को जाता है.

उन्होंने ने कहा कि राहुल गांधी पिछले दस सालों से जातिगत जनगणना की बात कर रहे हैं. भले ही यह निर्णय कैबिनेट ने लिया है, लेकिन इसका पूरा श्रेय राहुल गांधी को जाता है. भले ही सरकार मोदी की है, लेकिन सिस्टम राहुल गांधी का है और यह ऐसे ही चलता रहेगा. आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा.

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पहलगाम हमले से ध्यान भटकाने की कोशिश

संजय राउत ने सरकार के जातिगत जनगणना वाले फैसले को पहलगाम हमले से ध्यान भटकाने की कोशिश बताया. उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले के बाद पूरे देश में जिस तरह का माहौल बना है, लोग मोदी जी से सवाल पूछने लगे हैं, तो उससे ध्यान हटाने के लिए जल्दबाजी में यह फैसला लिया गया.

जातिगत जनगणना क्या है?

जातिगत जनगणना में राष्ट्रीय जनगणना के दौरान व्यक्तियों की जातिगत पहचान को व्यवस्थित रूप से दर्ज करना शामिल है. जहां जाति भारत में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन को प्रभावित करती है, ऐसे डेटा अलग-अलग जाति समूहों के वितरण और उनके सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बारे में मूल्यांकन कर उचित जानकारी प्रदान कर सकते हैं. यह जानकारी सकारात्मक कार्रवाई और सामाजिक न्याय से संबंधित नीतियों को आकार देने में मदद कर सकती है.

बता दें कि देश में आजादी के पहले 1931 में पहली बार जाति जनगणना कराई गई थी. केंद्र सरकार की ओर से सीसीपीए की बैठक में जाति जनगणना कराने के फैसले के बाद अब आजादी के बाद पहली बार जाति जनगणना आम जनगणना के साथ कराई जाएगी.