केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने शनिवार को कहा कि अगर कमला हैरिस अमेरिका की उपराष्ट्रपति बन सकती हैं, तो भारत की नागरिक, राजीव गांधी की पत्नी और लोकसभा के लिए चुनी गईं सोनिया गांधी इस देश की प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन सकती थीं? आगे खुद ही इसका जवाब देते हुए उन्‍होंने कहा कि भारतवंशी कमला हैरिस अमेरिका की उपराष्ट्रपति बन सकती हैं, तो इटली में पैदा हुईं सोनिया गांधी भी 17 साल पहले आम चुनावों में कांग्रेस संयुक्त प्रासंगिक गठबंधन की जीत के बाद भारत की प्रधानमंत्री बन सकती थीं। केंद्रीय मंत्री ने यह बात ऐसे वक्त पर कही है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की यात्रा पर हैं और उन्होंने वहां कमला हैरिस के साथ बैठक भी की है।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे को वर्ष 2004 के लोकसभा चुनावों के संदर्भ में बेमानी करार देते हुए उन्‍होंने कहा कि 2004 में गांधी को प्रधानमंत्री बनना चाहिए था और अगर उन्हें यह पद स्वीकार नहीं करना था, तो कांग्रेस को मजबूत करने के लिए पार्टी के तत्कालीन वरिष्ठ नेता शरद पवार को प्रधानमंत्री बनाया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा, “पवार जन नेता होने के कारण प्रधानमंत्री पद के लायक थे और कांग्रेस को मनमोहन सिंह के स्थान पर उन्हें प्रधानमंत्री बनाना चाहिए था, लेकिन सोनिया गांधी ने ऐसा नहीं किया।” आठवले ने यह भी कहा कि अगर पवार 2004 में देश के प्रधानमंत्री बनते, तो कांग्रेस की ऐसी कथित दुर्गति नहीं होती, जैसी आज हो रही है।

गौरतलब है कि पवार फिलहाल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख हैं। राकांपा का गठन 25 मई, 1999 को पवार ने पीए संगमा और तारिक अनवर के साथ मिलकर किया था, जब इटली में जन्मीं सोनिया गांधी द्वारा कांग्रेस के नेतृत्व करने के अधिकार पर विवाद के कारण उन्हें कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया था।

केंद्रीय मंत्री ने हालिया सियासी घटनाक्रम में पंजाब के मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने को मजबूर होने वाले वरिष्ठ नेता अमरिंदर सिंह से आह्वान किया कि कांग्रेस द्वारा उनके “भारी अपमान” के मद्देनजर उन्हें भाजपा या इसकी अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल हो जाना चाहिए। आठवले ने कहा, “अगर सिंह भाजपा में आते हैं, तो पंजाब के आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा की स्थिति मजबूत हो जाएगी।”