महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर सियासी सरगर्मी चरम पर है। राज्य की राजनीति में क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दल — दोनों ही मराठी अस्मिता की हिमायत कर अपने-अपने तरीके से समर्थन जताते दिख रहे हैं। हाल ही में राज्य सरकार द्वारा हिंदी भाषा की अनिवार्यता को लेकर जारी सरकारी आदेश (GR) को वापस ले लिया गया, जिसके बाद इसे लेकर राजनीतिक दलों में श्रेय लेने की होड़ मच गई।
राज-उद्धव एक मंच पर, शिंदे ने भी किया दावा
सालों बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक ही मुद्दे पर एक साथ नज़र आए और दोनों ने इस फैसले का श्रेय खुद को दिया। वहीं उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा देने और राज्य गीत लागू करने जैसे काम मौजूदा सरकार ने किए हैं। उन्होंने शिवसेना (उद्धव गुट) पर निशाना साधते हुए कहा कि “मराठी जनता को मुंबई से बाहर भेजने का काम किसने किया, ये सब जानते हैं।” शिंदे ने दावा किया कि उनकी सरकार अब उन लोगों को वापस मुंबई लाने और उन्हें सुलभ आवास मुहैया कराने की दिशा में काम कर रही है।
भाजपा का नया नारा – ‘हिंदी हमारी मां, मराठी हमारी मौसी’
मराठी भाषा विवाद में अब भाजपा भी सक्रिय हो गई है। पार्टी ने “हिंदी हमारी माता है और मराठी हमारी मौसी” का नारा देकर इसे जन-जन तक पहुंचाने की मुहिम शुरू की है। इसी क्रम में मुंबई में भाजपा मुस्लिम मोर्चा की अगुवाई में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न धर्म और भाषा समुदायों के लोगों ने भाग लिया। सभी प्रतिभागी हाथों में उक्त नारे के पोस्टर लेकर उपस्थित थे और मराठी को सीखने की अपील कर रहे थे।
भाषा को लेकर राजनीति बंद होनी चाहिए: बैठक में उठी आवाज
बैठक में शामिल लोगों ने कहा कि भाषा के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उनका कहना था कि वे वर्षों से मुंबई में रह रहे हैं और मराठी भाषा का सम्मान करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भाषा न जानने पर किसी के साथ हिंसा करना गलत है और ऐसा व्यवहार रोका जाना चाहिए।
‘सिखाएं, न कि सज़ा दें’: मुस्लिम समाज की अपील
मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोगों ने कहा कि कुछ राजनीतिक दल कभी धर्म तो कभी भाषा के नाम पर लोगों को आपस में लड़ाते हैं। उनका मानना है कि जिन लोगों को मराठी नहीं आती, उन्हें सिखाने की जरूरत है, न कि उनके साथ दुर्व्यवहार करने की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को धन्यवाद दिया कि उन्होंने इस संवेदनशील मुद्दे को संतुलन के साथ संभाला।
‘चुनाव नजदीक हैं, इसलिए बढ़ी मराठी की चर्चा’: कांग्रेस
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने भाषा के मुद्दे को लेकर सभी दलों को घेरा। उन्होंने कहा कि मराठी निस्संदेह राज्य की प्रमुख भाषा है, लेकिन इसके नाम पर किसी से ज़बरदस्ती करना या हिंसा करना अनुचित है। उन्होंने तंज कसा कि चुनावी माहौल नजदीक आते ही सभी दल ‘मराठी अस्मिता’ के नाम पर राजनीति तेज कर देते हैं।
‘शिंदे सरकार को मिलना चाहिए असली श्रेय’: शिवसेना नेता
शिवसेना नेता राजू वाघमारे ने मुख्यमंत्री शिंदे की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि राज्य में जितने भी विकास कार्य हुए, उनमें उनका अहम योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि मेट्रो परियोजनाओं से लेकर महाराष्ट्र भवन तक, शिंदे सरकार ने ठोस कार्य किए हैं और इसका वास्तविक श्रेय भी उन्हें ही मिलना चाहिए।