केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने महाराष्ट्र के नागपुर में एनएच-44 पर भारत के पहले बायो-बिटुमेन आधारित एनएच खंड का अनावरण किया। 

नितिन गडकरी ने सोशल मीडिया एक्स पर बताया कि इस खंड का विकास CSIR-CRRI (सीएसआईआर-सीआरआरआई), NHAI (एनएचएआई) और Oriental (ओरिएंटल) के सहयोग से प्राज इंडस्ट्रीज द्वारा लिग्निन आधारित जैव-बिटुमेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके किया गया है।

क्या होता है बिटुमेन
बिटुमेन एक काला पदार्थ है जो कच्चे तेल के आसवन (डिस्टिलेशन) के जरिए हासिल होता है और इसका व्यापक रूप से सड़कों और छतों को बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। 

गडकरी के कहा, लिग्निन का एक स्थायी बाइंडर के रूप में इस्तेमाल लचीले पेवमेंट टेक्नोलॉजी (फुटपाथ प्रौद्योगिकी) में एक बड़ी सफलता है। जो बिटुमेन की कमी को दूर करेगा और आयात पर भारत की निर्भरता को कम करेगा। जो इस समय आपूर्ति का 50 प्रतिशत है। 

गडकरी ने बताए फायदे
गडकरी ने आगे बताया, यह इनोवेशन जैव-रिफाइनरियों के लिए राजस्व पैदा करके, पराली जलाने को कम करके और जीवाश्म-आधारित बिटुमेन की तुलना में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कम से कम 70 प्रतिशत की कटौती करेगा। जो वैश्विक स्थिरता लक्ष्यों का समर्थन करता है। प्रचुर मात्रा में लिग्नोसेल्यूलोसिक बायोमास का लाभ उठाते हुए, यह टिकाऊ औद्योगिक विकास के लिए भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है। 

आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप
गडकरी ने पोस्ट में लिखा, "ग्रीन टेक्नोलॉजी (हरित प्रौद्योगिकियों) में प्रगति को बढ़ावा देने और औद्योगिक स्थिरता को बढ़ावा देने के जरिए, यह पहल माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोजी जी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है। जो बड़े पैमाने पर घरेलू उत्पादन और आत्मनिर्भर, टिकाऊ भविष्य का मार्ग प्रशस्त करती है।" 

प्रदूषण होगा कम, किसानों को होगा फायदा
गडकरी ने हाल ही में राज्यसभा में सवालों के जवाब देते हुए कहा, "हमारे पास दुनिया का सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है। 90 प्रतिशत सड़कें बिटुमिनस परतों का इस्तेमाल कर रही हैं। 2023-24 में बिटुमेन की खपत 88 लाख टन थी। 2024-25 में इसके 100 लाख टन होने की उम्मीद है। 50 प्रतिशत बिटुमेन आयात किया जाता है। और वार्षिक आयात लागत 25,000-30,000 करोड़ रुपये है।"

मंत्री ने कहा कि किसान अब न सिर्फ खाद्यान्न पैदा कर रहे हैं, बल्कि वे ऊर्जा उत्पादक भी बन गए हैं। केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) और भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून ने धान की पराली से बायो-बिटुमेन विकसित किया है।  मंत्री ने चिंता जताई कि पराली जलाने के कारण दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या है। 

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, "पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के कारण दिल्ली में प्रदूषण की समस्या है। अब हम चावल के भूसे से सीएनजी बना रहे हैं...अब किसान जो अन्नदाता, ऊर्जादाता हैं, वे बिटुमेनदाता बन जाएंगे... इससे कचरे से मूल्य सृजन में मदद मिलेगी और किसानों को भी लाभ होगा..."

देश में 400 प्रोजेक्ट
गडकरी का कहना है, "बायोमास से सीएनजी बनाने के लिए देश में 400 प्रोजेक्ट हैं...सीएनजी पेट्रोल से काफी सस्ती है। और सीएनजी से होने वाला प्रदूषण भी पेट्रोल से कम है...सीएनजी से काफी पैसा बचता है...इससे किसानों को काफी फायदा होगा..."